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शनिवार, 8 दिसंबर 2018

8. ईमानदार व्यक्ति और धोखेबाज व्यक्ति में क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ईमानदारी का अर्थ है अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करना; किसी भी चीज़ में उस से ढकोसला नहीं करना; सभी चीजों में उसके प्रति निष्कपट होना, सत्य को कभी भी नहीं छुपाना; कभी भी ऐसा कार्य नहीं करना जो उन लोगों को धोखा देता हो जो ऊँचे हैं और उन लोगों को भ्रम में डालता हो जो नीचे हैं; और कभी भी ऐसा काम नहीं करना जो केवल परमेश्वर की चापलूसी करने के लिए किया जाता है। संक्षेप में, ईमानदार होने का अर्थ है अपने कार्यों और वचनों में अशुद्धता से परहेज करना, और न तो परमेश्वर को और न ही मनुष्य को धोखा देना।

गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

7. एक धोखेबाज व्यक्ति क्या है? धोखेबाज़ लोगों को क्यों नहीं बचाया जा सकता है?

रमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि तुम बहुत धोखेबाज हो, तो तुम्हारे पास एक संरक्षित हृदय होगा और सभी मामलों और सभी लोगों के बारे में संदेह के विचार होंगे। इसी कारण से, मुझ में तुम्हारा विश्वास संदेह कि नींव पर बना है। इस प्रकार के विश्वास को मैं कभी भी स्वीकार नहीं करूँगा। सच्चे विश्वास का अभाव होने पर, तुम सच्चे प्रेम से और भी अधिक दूर होगे। और यदि तुम परमेश्वर पर भी संदेह करने और अपनी इच्छानुसार उसके बारे में अनुमान लगाने में समर्थ हो, तो तुम संदेह से परे मनुष्यों में सबसे सबसे अधिक धोखेबाज हो।

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

6. एक ईमानदार व्यक्ति क्या होता है? परमेश्वर ईमानदार लोगों को क्यों पसंद करता है

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ईमानदारी का अर्थ है अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करना; किसी भी चीज़ में उस से ढकोसला नहीं करना; सभी चीजों में उसके प्रति निष्कपट होना, सत्य को कभी भी नहीं छुपाना; कभी भी ऐसा कार्य नहीं करना जो उन लोगों को धोखा देता हो जो ऊँचे हैं और उन लोगों को भ्रम में डालता हो जो नीचे हैं; और कभी भी ऐसा काम नहीं करना जो केवल परमेश्वर की चापलूसी करने के लिए किया जाता है। संक्षेप में, ईमानदार होने का अर्थ है अपने कार्यों और वचनों में अशुद्धता से परहेज करना, और न तो परमेश्वर को और न ही मनुष्य को धोखा देना।

रविवार, 18 नवंबर 2018

प्रश्न 26: बाइबल ईसाई धर्म का अधिनियम है और जो लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, उन्होंने दो हजार वर्षों से बाइबल के अनुसार ऐसा विश्वास किया हैं। इसके अलावा, धार्मिक दुनिया में अधिकांश लोग मानते हैं कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, कि प्रभु में विश्वास बाइबल में विश्वास है, और बाइबल में विश्वास प्रभु में विश्वास है, और यदि कोई बाइबल से भटक जाता है तो उसे विश्वासी नहीं कहा जा सकता। कृपया बताओ, क्या मैं पूछ सकता हूँ कि इस तरीके से प्रभु पर विश्वास करना प्रभु की इच्छा के अनुरूप है या नहीं?

उत्तर:
बहुत से लोगों का विश्वास है कि बाइबल प्रभु की प्रतिनिधि है, परमेश्वर की प्रतिनिधि है और प्रभु में विश्वास करने का अर्थ बाइबल में विश्वास करना है, और बाइबल में विश्वास करना प्रभु में विश्वास करने के समान है। लोग बाइबल को परमेश्वर के समान दर्जा देते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो परमेश्वर को नहीं मानते पर बाइबल को मानते हैं। वे बाइबल को सर्वोच्च मानते हैं और परमेश्वर के स्थान पर बाइबल को रखने का प्रयास भी करते हैं। ऐसे धार्मिक नेता भी हैं जो मसीह को नहीं मानते पर बाइबल को मानते हैं, और दावा करते हैं कि प्रभु के दूसरे अवतरण का उपदेश देने वाले लोग पाखंडी और विधर्मी हैं। यहां ठीक-ठीक मुद्दा क्या है? यह स्पष्ट है, कि धार्मिक विश्व ऐसे बिंदु तक धंस गया है जहां वे केवल बाइबल को ही मानते हैं और प्रभु के लौटने पर विश्वास नहीं करते - उन्हें कोई नहीं बचा सकता। इससे यह स्पष्ट हो जाता है, कि धार्मिक विश्व यीशु-विरोधियों का ऐसा समूह बन चुका है जो परमेश्वर का विरोध करता है और परमेश्वर को अपना शत्रु मानता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कई धार्मिक नेता पाखंडी फारसी हैं। विशेष रूप से वे जो यह दावा करते हैं कि "प्रभु के दूसरे अवतरण का उपदेश देने वाले लोग पाखंडी और विधर्मी हैं," वे सभी यीशु-विरोधी और अविश्वासी हैं।

रविवार, 11 नवंबर 2018

प्रश्न 16: तुम यह प्रमाण देते हो कि परमेश्वर ने सच्चाई को व्यक्त करने के लिए और आखिरी दिनों में मनुष्य के न्याय और शुद्धि के कार्य को करने के लिए वापस देह-धारण किया है, लेकिन धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का विश्वास है कि परमेश्वर बादलों के साथ वापस लौटेगा, और जो लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, वे एक पल में रूपांतरित हो जाएँगे और बादलों में परमेश्वर के साथ मिलने के लिए स्वर्गारोहित होंगे, जैसा कि पौलुस ने कहा था: "पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्‍ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा" (फिली 3:20-21)। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो वह नहीं कर सकता है। परमेश्वर हमें बदल देगा और हमें पवित्र बना देगा, वह सिर्फ एक ही वचन के साथ इसे प्राप्त कर लेगा। तो फिर उसे सच्चाई व्यक्त करने और मनुष्य के न्याय और शुद्धि के कार्य के एक चरण को पूरा करने के लिए अब भी देह बनने की आवश्यकता क्यों है?

प्रश्न 16: तुम यह प्रमाण देते हो कि परमेश्वर ने सच्चाई को व्यक्त करने के लिए और आखिरी दिनों में मनुष्य के न्याय और शुद्धि के कार्य को करने के लिए वापस देह-धारण किया है, लेकिन धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का विश्वास है कि परमेश्वर बादलों के साथ वापस लौटेगा, और जो लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, वे एक पल में रूपांतरित हो जाएँगे और बादलों में परमेश्वर के साथ मिलने के लिए स्वर्गारोहित होंगे, जैसा कि पौलुस ने कहा था: "पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्‍ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा" (फिली 3:20-21)। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो वह नहीं कर सकता है। परमेश्वर हमें बदल देगा और हमें पवित्र बना देगा, वह सिर्फ एक ही वचन के साथ इसे प्राप्त कर लेगा। तो फिर उसे सच्चाई व्यक्त करने और मनुष्य के न्याय और शुद्धि के कार्य के एक चरण को पूरा करने के लिए अब भी देह बनने की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर:
परमेश्वर का कार्य सदा अथाह होता है। परमेश्वर की भविष्यवाणियों को कोई भी स्पष्टता से नहीं समझा सकता। मनुष्य साकार होने पर ही किसी भविष्यवाणी को समझ सकता है। इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि कोई भी परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और सर्वशक्तिमत्ता की थाह नहीं पा सकता। जब अनुग्रह के युग में कार्य करने के लिए प्रभु यीशु प्रकट हुए, कोई भी उनकी थाह नहीं पा सका। जब राज्य के युग में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों का न्याय कार्य करते हैं, तो कोई भी पहले से उसको भी नहीं जान सकता। इसलिए, मानवजाति, परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करने और न्याय कार्य के लिए देहधारण कर लेने की बात की कदापि कल्पना नहीं कर सकती।परंतु परमेश्वर का कार्य पूरा हो जाने पर महाविपत्ति आयेगी।

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