उत्तर:
लोगों के लिए, बाइबल की व्याख्या करना गलत नहीं होना चाहिए, परंतु, बाइबल की व्याख्या करते वक्त वे वास्तव में ऐसे काम करते हैं जिनसे परमेश्वर का विरोध होता है। ये किस तरह के लोग हैं? क्या वे पाखंडी फरीसी नहीं हैं? क्या वे परमेश्वर-विरोधी मसीह-विरोधी नहीं हैं? पादरी और एल्डर्स, बाइबल की व्याख्या करना परमेश्वर का विरोध करना कैसे हो सकता है? इससे परमेश्वर की निंदा कैसे होती है? अभी भी ऐसे लोग हैं जो समझ नहीं पा रहे हैं और अभी भी सोचते हैं कि बाइबल की व्याख्या करना परमेश्वर को गौरवान्वित करना और उनकी गवाही देना है। उस ज़माने के यहूदी मुख्य पादरी, धर्मगुरु और फरीसी सभी धर्मग्रंथों के अध्येता और विद्वान थे, जो लोगों के सामने अक्सर धर्मग्रंथों की व्याख्या किया करते थे।