परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मैं कहता हूं कि जो लोग सत्य को महत्व नहीं देते हैं वे अविश्वासी और सत्य के विश्वासघाती हैं ऐसे लोग मसीह के अनुमोदन को प्राप्त नहीं कर पायेंगे।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "क्या तुम परमेश्वर के एक सच्चे विश्वासी हो?" से
वे सभी जो परमेश्वर के वचनों की गलत समझ रखते हैं, वे सभी अविश्वासी हैं। उनमें कोई भी वास्तविक ज्ञान नहीं है, वास्तविक कद-काठी का तो सवाल ही नहीं है; वे वास्तविकता रहित अज्ञानी लोग हैं। कहने का अर्थ यह है कि, वे सभी जो परमेश्वर के वचनों के ज्ञान से बाहर जीवन जीते हैं, वे सभी अविश्वासी हैं। जिन्हें मनुष्यों के द्वारा अविश्वासी समझ लिया गया है, वे परमेश्वर की दृष्टि में जानवर हैं, और जिन्हें परमेश्वर के द्वारा अविश्वासी समझा गया है, वे लोग वे हैं जिनमें जीवन के रूप में परमेश्वर का वचन नहीं है।