"परमेश्वर में आस्था" (2) - क्या सीसीपी और धार्मिक मंडलियों द्वारा निंदित मार्ग सही मार्ग नहीं है?
बहुत से लोग परमेश्वर के वचनों और कार्यों पर इन कृत्यों को आधारित किए बिना ही सत्य का मार्ग प्राप्त करते और खोजते हैं। इसके बजाय वे धार्मिक संसार के चलनों का पालन करते हैं और वे मानते हैं कि जिसकी चीन की साम्यवादी सरकार और धार्मिक संसार निंदा करते हैं वह सही मार्ग नहीं है – क्या यह मार्ग अपनाना सही है? बाइबल कहती है, "और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है(1यूहन्ना5:19)" "इस युग के लोग बुरे हैं (लूका11:29)" । इस प्रकार देखा जा सकता है कि नास्तिक वृत्ति का राजनैतिक शासन और धार्मिक संसार निश्चित तौर पर सही मार्ग को अस्वीकार करेगा और उसकी निंदा करेगा। जब प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग में अपना कार्य किया, यहूदियों और रोम की सरकार ने उनका पुरज़ोर विरोध किया और उन्हें सज़ा दी, और अंत में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया। क्या यह वस्तुस्थिति के तथ्य नहीं हैं? जब अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए आते हैं, तब उन्हें चीन सरकार और धार्मिक संसार की घोर अवज्ञा और निंदा का सामना करना पड़ता है। यह क्या दर्शाता है? क्या हमें इस विषय में चिंतन नहीं करना चाहिए?
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।
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