संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'" (मत्ती 7:21-23)।
"पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, 'पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ'" (1 पतरस 1:15-16)।
"सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)।
परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर के सामने, क्या एक पवित्र व्यक्ति के रूप में या धर्मी व्यक्ति के रूप में पूर्ण बनाया जाना इतना आसान है? यह एक सामान्य सत्य है कि "इस पृथ्वी पर कोई भी धर्मी नहीं है, जो धर्मी हैं वे इस संसार में नहीं हैं।" जब तुम लोग परमेश्वर के सम्मुख आते हो, तो विचार करो कि तुम लोगों ने क्या पहना हुआ है, अपने हर शब्द और क्रिया, अपने सभी विचारों और अवधारणाओं, और यहाँ तक कि उन सपनों पर भी विचार करो जिन्हें तुम लोग हर दिन देखते हो—वे सब तुम लोगों के अपने वास्ते हैं। क्या यह सही वस्तु-स्थिति नहीं है? "धार्मिकता" का तात्पर्य भिक्षा देना नहीं है, इसका अर्थ अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना नहीं है, और इसका अर्थ लड़ाई-झगड़ा करना, बहस करना, लूटना या चोरी करना नहीं है। धार्मिकता का अर्थ परमेश्वर के आदेश को अपने कर्तव्य के रूप में लेना और परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं का, समय और स्थान की परवाह किए बिना, स्वर्ग से भेजी गयी वृत्ति के रूप में पालन करना है, ठीक वैसे ही जैसे प्रभु यीशु द्वारा किया गया था। यही वह धार्मिकता है जो परमेश्वर द्वारा कही गई थी। लूत को इसलिए धर्मी पुरुष कहा जा सका था क्योंकि उसने अपने लिए क्या खोया अथवा पाया इसकी परवाह किए बिना परमेश्वर के द्वारा भेजे गए दो फ़रिश्तों को बचाया था; उसने उस समय जो किया उसे धर्मी कहा जा सकता है, परंतु उसे धर्मी पुरुष नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि लूत ने परमेश्वर को देखा था केवल इसलिए उसने उन फ़रिश्तों के बदले में अपनी दो बेटियाँ दे दी। किन्तु अतीत का उसका समस्त आचरण धार्मिकता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, और इस लिए मैं यह कहता हूँ कि "इस पृथ्वी पर कोई धर्मी नहीं है।"
"वचन देह में प्रकट होता है" से "दुष्ट को दण्ड अवश्य दिया जाना चाहिए" से
तुम जैसा पापी, जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, और परिवर्तित नहीं किया गया है, या परमेश्वर के द्वारा सिद् नहीं किया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो अभी भी पुराने मनुष्यत्व के हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और यह कि परमेश्वर के उद्धार के कारण तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुमने अपने आपको नहीं बदला है तो तुम संत के समान कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता के द्वारा घिरे हुए हो, स्वार्थी एवं कुटिल हो, फिर भी तुम चाहते हो कि यीशु के साथ आओ – तुम्हें बहुत ही भाग्यशाली होना चाहिए! तुम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास में एक चरण में चूक गए हो: तुम्हें महज छुड़ाया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें बदलने एवं शुद्ध करने के कार्य को करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुड़ाया गया है, तो तुम शुद्धता को हासिल करने में असमर्थ होगे। इस रीति से तुम परमेश्वर की अच्छी आशिषों में भागी होने के लिए अयोग्य होगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंध करने के परमेश्वर के कार्य के एक चरण को पाने का ससुअवसर खो दिया है, जो बदलने एवं सिद्ध करने का मुख्य चरण है। और इस प्रकार तुम, एक पापी जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में" से
केवल परमेश्वर द्वारा शुद्ध करने का कार्य ही मानवजाति को उसकी अधार्मिकता से शुद्ध करेगा, और केवल उसका ताड़ना और न्याय का कार्य ही मानव जाति की अवज्ञा की बातों को प्रकाश में लाएगा, फलस्वरूप, जिन्हें बचाया नहीं जा सकता है उनमें से जिन्हें बचाया जा सकता है उन्हें, और जो नहीं बचेंगे उनमें से जो बचेंगे उन्हें अलग करेगा। जब उसका कार्य समाप्त हो जाएगा, तो जो शेष बचेंगे वे शुद्ध किए जाएँगे, और जब वे मानवजाति के उच्चतर राज्य में प्रवेश करेंगे तो एक अद्भुत द्वितीय मानव जीवन का पृथ्वी पर आनंद उठाएँगे; दूसरे शब्दों में, वे मानवजाति के विश्राम में प्रवेश करेंगे और परमेश्वर के साथ-साथ रहेंगे। जो नहीं बच सकते हैं उनके ताड़ना और न्याय से गुजरने के बाद, उनके मूल स्वरूप पूर्णतः प्रकट हो जाएँगे; उसके बाद वे सबके सब नष्ट कर दिए जाएँगे और, शैतान के समान, उन्हें पृथ्वी पर जीवित रहने की अनुमति नहीं होगी। भविष्य की मानवजाति में इस प्रकार के कोई भी लोग शामिल नहीं होंगे; ये लोग अंतिम विश्राम के देश में प्रवेश करने के योग्य नहीं है, न ही ये लोग उस विश्राम के दिन में प्रवेश करने के योग्य हैं जिसे परमेश्वर और मनुष्य दोनों साझा करेंगे, क्योंकि वे दण्ड के लक्ष्य हैं और दुष्ट हैं, और वे धार्मिक लोग नहीं हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे" से
कुछ लोग यह कहते हुए समाप्त करते हैं, "मैं ने तेरे लिए इतना अधिक कार्य किया है, और हालाँकि उत्सव मनाने योग्य उपलब्धियां तो शायद नहीं हैं, फिर भी मैं अपने प्रयासों में अब भी परिश्रमी हूँ। क्या तू बस मुझे स्वर्ग में प्रवेश करने नहीं दे सकता है ताकि मैं जीवन के फल को खाऊं?" तुझे जानना होगा कि मैं किस प्रकार के लोगों की इच्छा करता हूँ; ऐसे लोग जो अशुद्ध हैं उन्हें राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है, ऐसे लोग जो अशुद्ध हैं उन्हें पवित्र भूमि को गंदा करने की अनुमति नहीं दी गई है। हालाँकि तूने शायद अधिक कार्य किया है, और कई सालों तक कार्य किया है, फिर भी अन्त में तू दुखदाई रूप से मैला है—यह स्वर्ग की व्यवस्था के लिए असहनीय है कि तू मेरे राज्य में प्रवेश करने की कामना करता है! संसार की नींव से लेकर आज तक, मैं ने कभी भी उन लोगों को अपने राज्य के लिए आसान मार्ग का प्रस्ताव नहीं दिया है जो अनुग्रह पाने के लिए मेरी खुशामद करते हैं। यह स्वर्गीय नियम है, और इसे कोई तोड़ नहीं सकता है!
"वचन देह में प्रकट होता है" से "सफलता या असफलता उस पथ पर निर्भर होती है जिस पर मनुष्य चलता है" से
वे सभी धन्य हैं जो पवित्र आत्मा की वास्तविक उक्तियों का पालन करने में सक्षम हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कैसे थे, या उनके भीतर पवित्र आत्मा कैसे कार्य किया करता था—जिन्होंने नवीनतम कार्य को प्राप्त किया है वे सबसे अधिक धन्य हैं, और जो लोग आज के नवीनतम कार्य का अनुसरण नहीं कर सकते हैं, वे हटा दिए जाते हैं। परमेश्वर उन्हें चाहता है जो नई रोशनी को स्वीकार करने में सक्षम हैं, और वह उन्हें चाहता है जो उसके नवीनतम कार्य को स्वीकार करते और जान लेते हैं। ऐसा क्यों कहा गया है कि तुम लोगों को शुद्ध कुँवारी होना चाहिए? एक शुद्ध कुँवारी पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करने में और नई चीज़ों को समझने में सक्षम होती है, और इसके अलावा, पुरानी अवधारणाओं को दूर करने और परमेश्वर के आज के कार्य का अनुसरण करने में सक्षम होती है। इस समूह के लोगों को, जो आज के नवीनतम कार्य को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर ने युगों पहले ही पूर्वनिर्धारित किया था, और वे सभी लोगों में सबसे अधिक धन्य हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और परमेश्वर के चरण-चिन्हों का अनुसरण करो" से
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