菜单

घर

बुधवार, 3 जुलाई 2019

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है भाग दो



परमेश्वर स्वयं का कार्य वह दर्शन है जो मनुष्य को अवश्य जानना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर का कार्य मनुष्यों के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है, और मनुष्यों के द्वारा धारण नहीं किया जाता है। कार्य के तीन चरण परमेश्वर के प्रबंधन की सम्पूर्णता हैं, और इससे बड़ा कोई दर्शन नहीं है जो मनुष्यों के द्वारा ज्ञात किया जाना चाहिए। यदि मनुष्य इस शक्तिशाली दर्शन को नहीं जानता है, तो परमेश्वर को जानना आसान नहीं है, और परमेश्वर की इच्छा को समझना आसान नहीं है, और, इसके अलावा, मनुष्य जिस मार्ग पर चलता है वह उत्तरोत्तर कठिन बन जाता है। दर्शन के बिना, मनुष्य इतनी दूर तक नहीं आ सकता था। ये दर्शन ही हैं जिन्होंने आज तक मनुष्य की सुरक्षा की है और जिन्होंने मनुष्य को सबसे बड़ा संरक्षण प्रदान किया है। भविष्य में, तुम लोगों का ज्ञान अवश्य अधिक गहरा होना चाहिए और तुम लोगों को उसकी इच्छा की सम्पूर्णता को और कार्य के तीन चरणों में उसके बुद्धिमान कार्य के सार को अवश्य जान लेना चाहिए। केवल यही तुम लोगों की असली कद काठीहै।

मंगलवार, 2 जुलाई 2019

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है भाग एक




मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। मानवजाति को बचाने का कार्य केवल मानवजाति के भ्रष्ट होने पर ही आरंभ हुआ, और इसलिए मानवजाति का प्रबंधन करने का कार्य भी मानवजाति के भ्रष्ट हो जाने पर ही आरम्भ हुआ। दूसरे शब्दों में, मनुष्य के प्रबंधन का परमेश्वर का कार्य मनुष्य को बचाने के कार्य के परिणामस्वरूप आरंभ हुआ, और संसार की रचना के कार्य से उत्पन्न नहीं हुआ।

मंगलवार, 21 मई 2019

सर्वशक्तियीशुमान परमेश्वर के कथन "केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है"



प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि परमेश्वर का प्रबंधन अजीब है, क्योंकि लोग यह सोचते हैं कि परमेश्वर का प्रबंधन पूरी तरह से मनुष्य से सम्बन्धित नहीं है। वे यह सोचते हैं कि यह प्रबंधन केवल परमेश्वर का ही कार्य है, यह उसी के मतलब का है, और इसलिए मनुष्य परमेश्वर के प्रबंधन के प्रति बिल्कुल तटस्थहै। इस प्रकार से, मानवजाति का उद्धार अस्पष्ट और अनिश्चित हो गया है, और अब केवल खाली भाषणबाजी है। हालांकि मनुष्य परमेश्वर का अनुसरण करता है ताकि वह बच जाए और खूबसूरत गंतव्य में प्रवेश कर जाए, मनुष्य को कुछ भी चिंता नहीं है कि परमेश्वर अपना कार्य किस प्रकार से करता है। मनुष्य चिंता नहीं करता कि परमेश्वर की क्या करने की योजना है और बचने के लिए उसे क्या भूमिका अदा करनी होगी।

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है

    केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है  

प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि परमेश्वर का प्रबंधन अजीब है, क्योंकि लोग यह सोचते हैं कि परमेश्वर का प्रबंधन पूरी तरह से मनुष्य से सम्बन्धित नहीं है। वे यह सोचते हैं कि यह प्रबंधन केवल परमेश्वर का ही कार्य है, यह उसी के मतलब का है, और इसलिए मनुष्य परमेश्वर के प्रबंधन के प्रति बिल्कुल तटस्थ है। इस प्रकार से, मानवजाति का उद्धार अस्पष्ट और अनिश्चित हो गया है, और अब केवल खाली भाषणबाजी है। हालांकि मनुष्य परमेश्वर का अनुसरण करता है ताकि वह बच जाए और खूबसूरत गंतव्य में प्रवेश कर जाए, मनुष्य को कुछ भी चिंता नहीं है कि परमेश्वर अपना कार्य किस प्रकार से करता है।

मंगलवार, 12 मार्च 2019

70. परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए गये लोगों के जरिये क्यों नहीं किया गया? यह क्यों आवश्यक है कि वे यह कार्य देहधारी होकर व्यक्तिगत रूप से करें?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर की सम्पूर्ण प्रबंधकीय योजना के कार्य को व्यक्तिगत तौर पर स्वयं परमेश्वर के द्वारा किया गया है। प्रथम चरण—संसार की सृष्टि—को परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर किया गया था, और यदि इसे नहीं किया गया होता, तो कोई भी मानवजाति की सृष्टि करने में सक्षम नहीं होता; दूसरा चरण सम्पूर्ण मानवजाति का छुटकारा था, और इसे भी स्वयं परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर किया गया था; तीसरा चरण स्पष्ट है: परमेश्वर के सम्पूर्ण कार्य के अन्त को स्वयं परमेश्वर के द्वारा किये जाने की तो और भी अधिक आवश्यकता है। सम्पूर्ण मानवजाति के छुटकारे, उस पर विजय पाने, उसे हासिल करने, एवं सिद्ध बनाने के समस्त कार्य को स्वयं परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर सम्पन्न किया जाता है।

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

41. परमेश्वर प्रत्येक युग में नये कार्य को क्यों क्रियान्वित करते हैं? कोई नया युग वास्तव में किन कारणों से आता है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग। प्रत्येक युग की प्रकृति के अनुसार मेरा कार्य इन तीनों युगों में तत्वतः अलग-अलग है, परन्तु प्रत्येक चरण में यह मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है—या बल्कि, अधिक स्पष्ट कहें तो, यह उन छलकपटों के अनुसार किया जाता है जो शैतान उस युद्ध में काम में लाता है जो मैं उसके विरुद्ध शुरू करता हूँ। मेरे कार्य का उद्धेश्य शैतान को हराना, अपनी बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को व्यक्त करना, शैतान के सभी छलकपटों को उजागर करना और परिणामस्वरूप समस्त मानवजाति को बचाना है, जो उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन रहती है।

सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

29. प्रभु यीशु ने हमें वचन दिया है कि, "जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परंतु अनंत जीवन पाये।" परमेश्वर अपनी इस बात को कैसे पूरा करेंगे?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
6000 वर्षों के परमेश्वर के प्रबधंन के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है: व्यवस्था का युग, अनुग्रह का युग, और राज्य का युग। इन तीन चरणों का सम्पूर्ण कार्य मानवजाति के उद्धार के लिए है, कहने का तात्पर्य है, वे ऐसी मानवजाति के उद्धार के लिए हैं जिसे शैतान के द्वारा बुरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया है। फिर भी, ठीक उसी समय वे इसलिए भी हैं ताकि परमेश्वर शैतान के साथ युद्ध कर सके। इस प्रकार, जैसे उद्धार के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है, वैसे ही शैतान के साथ युद्ध को भी तीन चरणों में बांटा गया है, और परमेश्वर के कार्य के इन दो चरणों को एक ही समय में संचालित किया जाता है।

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

12. परमेश्वर के कार्य के तीनों चरण, मानवजाति का उद्धार करने के लिए किस प्रकार गहरे होते जाते हैं?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

Hindi Christian Movie | अग्नि द्वारा बप्तिस्मा | Can We Enter the Kingdom of Heaven by Hard Work?

Hindi Christian Movie | अग्नि द्वारा बप्तिस्मा | Can We Enter the Kingdom of Heaven by Hard Work?       प्रभु यीशु ने कहा, "जो म...