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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

59. बहुत-से लोग मानते हैं कि परमेश्वर में विश्वास करने का अर्थ बाइबल से कभी भी भटकना नहीं है, और बाइबल से भटकने का अर्थ परमेश्वर को धोखा देना है। क्या यह नज़रिया सही है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
यहूदी फरीसी यीशु को दोषी ठहराने के लिए मूसा की व्यवस्था का उपयोग करते थे। उन्होंने उस समय के यीशु के अनुकूल होने की खोज नहीं की, बल्कि नियम का अक्षरशः पालन कर्मठतापूर्वक किया, इस हद तक किया कि अंततः उन्होंने निर्दोष यीशु को, पुराने नियम की व्यवस्था का पालन न करने और मसीहा न होने का आरोप लगाते हुए, क्रूस पर चढ़ा दिया। उनका सारतत्व क्या था? क्या यह ऐसा नहीं था कि उन्होंने सत्य के अनुकूल होने के मार्ग की खोज नहीं की? उनमें पवित्रशास्त्र के हर एक वचन का जुनून सवार हो गया था, जबकि मेरी इच्छा और मेरे कार्य के चरणों और कार्य की विधियों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

शनिवार, 5 जनवरी 2019

36. कितने धर्मी लोग विपत्तिओं में परमेश्वर के पास वापस आ जाएँगे?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जैसे ही मैं बोलने के लिए विश्व की तरफ अपने चेहरे को घुमाता हूँ, सारी मानवजाति मेरी आवाज़ को सुनती है, और उसके बाद उन सभी कार्यों को देखती है जिसे मैंने समूचे ब्रह्माण्ड में गढ़ा है। वे जो मेरी इच्छा के विरूद्ध जाते हैं, अर्थात्, जो मनुष्य के कार्यों से मेरा विरोध करते हैं, वे मेरी ताड़ना के अधीन नीचे गिर जाएँगे। मैं स्वर्ग के असंख्य तारों को लूँगा और उन्हें फिर से नया कर दूँगा, और मेरे कारण सूर्य और चन्द्रमा को नया बना दिया जाएगा-आकाश अब और वैसा नहीं रहेगा जैसा वह था; पृथ्वी पर बेशुमार चीज़ों को फिर से नया बना दिया जाएगा।

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

प्रश्न 29: तुम यह प्रमाण देते हो कि प्रभु यीशु पहले से ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट चुका है, वह उस संपूर्ण सत्य को अभिव्यक्त करता है जो मानवता को शुद्ध बनाता और उसे बचाता है और वह परमेश्वर के परिवार से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करता है, तो हमें परमेश्वर की आवाज़ को कैसे पहचाननी चाहिए और हमें कैसे इस बात की पुष्टि करनी चाहिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु यीशु ही है?

उत्तर:
आपलोगों ने अभी-अभी जो प्रश्न पूछा वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारने और परमेश्वर के प्रकटन को देखने के लिए, हमें यह जानना होगा कि परमेश्वर की आवाज की पहचान कैसे की जाए। वास्तव में, परमेश्वर की आवाज पहचानने का अर्थ है परमेश्वर के वचनों और कथनों को पहचानना, और सृष्टिकर्ता के वचनों की विशेषताओं को पहचानना। चाहे वे देहधारी परमेश्वर के वचन हों, या परमात्मा के कथन हों, वे सभी ऊपर आकाश से परमेश्वर द्वारा मानवजाति को कहे गए वचन हैं। परमेश्वर के वचनों का सुर एवं विशेषता कुछ ऐसी ही होती है। परमेश्वर के अधिकार एवं पहचान स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं। कहा जा सकता है कि यह ऐसा अद्वितीय माध्यम है जिसके द्वारा सृष्टिकर्ता बोलते हैं।

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

प्रश्न 5: धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग अक्सर विश्वासियों के लिए ऐसा प्रचार करते हैं कि कोई भी उपदेश जो कहता है कि प्रभु देह में आ गया है, वह झूठा है। वे बाइबल की इन पंक्तियों को इसका आधार बनाते हैं: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24: 23-24)। अब हमें कुछ पता नहीं है कि हमें सच्चे मसीह को झूठों से कैसे अलग पहचानना चाहिए, इसलिए कृपया इस प्रश्न का उत्तर दो।

प्रश्न 5: धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग अक्सर विश्वासियों के लिए ऐसा प्रचार करते हैं कि कोई भी उपदेश जो कहता है कि प्रभु देह में आ गया है, वह झूठा है। वे बाइबल की इन पंक्तियों को इसका आधार बनाते हैं: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24: 23-24)। अब हमें कुछ पता नहीं है कि हमें सच्चे मसीह को झूठों से कैसे अलग पहचानना चाहिए, इसलिए कृपया इस प्रश्न का उत्तर दो।

उत्तर:
प्रभु यीशु ने वास्तव में यह भविष्यवाणी की थी कि अंत के दिनों में झूठे मसीहा और झूठे पैगम्बर सामने आएँगे। यह एक सच्चाई है। लेकिन प्रभु यीशु ने कई बार यह भी स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की है कि वे वापस लौटेंगे। पक्के तौर पर, क्या हम इसमें विश्वास करते हैं? प्रभु यीशु की वापसी की भविष्यवाणियों को परखते समय, बहुत से लोग झूठे मसीहों और झूठे पैगम्बरों से सावधान होने को प्राथमिकता दे देते हैं। और इस बात पर जरा भी विचार नहीं करते कि जब दूल्हे का आगमन होगा तो उसका स्वागत कैसे करेंगे, और उसकी आवाज कैसे सुनेंगे।

गुरुवार, 1 नवंबर 2018

प्रश्न 2: तुम यह प्रमाणित करते हो कि परमेश्वर ने देह-धारण किया है और अंतिम दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए मनुष्य का पुत्र बन चुका है, और फिर भी अधिकांश धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग इस बात की पुष्टि करते हैं कि परमेश्वर बादलों के साथ लौटेगा, और वे इसका आधार मुख्यतः बाइबल की इन पंक्तियों पर रखते हैं: "यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा"। (प्रेरितों, 1:11)। "देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी" (प्रकाशित वाक्य 1:7)। और इसके अलावा, धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों ने हमें यह भी निर्देश दिया है कि कोई भी प्रभु यीशु जो बादलों के साथ नहीं आता है, वह झूठा है और उसे छोड़ दिया जाना चाहिए। इसलिए हम निश्चित नहीं हो पा रहे हैं कि यह नज़रिया बाइबल के अनुरूप है या नहीं; इसे सच मान लेना उचित है या नहीं?

प्रश्न 2: तुम यह प्रमाणित करते हो कि परमेश्वर ने देह-धारण किया है और अंतिम दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए मनुष्य का पुत्र बन चुका है, और फिर भी अधिकांश धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग इस बात की पुष्टि करते हैं कि परमेश्वर बादलों के साथ लौटेगा, और वे इसका आधार मुख्यतः बाइबल की इन पंक्तियों पर रखते हैं: "यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा"। (प्रेरितों, 1:11)। "देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी" (प्रकाशित वाक्य 1:7)। और इसके अलावा, धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों ने हमें यह भी निर्देश दिया है कि कोई भी प्रभु यीशु जो बादलों के साथ नहीं आता है, वह झूठा है और उसे छोड़ दिया जाना चाहिए। इसलिए हम निश्चित नहीं हो पा रहे हैं कि यह नज़रिया बाइबल के अनुरूप है या नहीं; इसे सच मान लेना उचित है या नहीं?

उत्तर:
जब प्रभु के लिए बादलों के साथ अवतरण की प्रतीक्षा करने की बात आती है, हमें मनुष्यों के विचारों और कल्पनाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए! फरीसियों ने मसीहा के आगमन की प्रतीक्षा करने में बड़ी गलती की थी। उन्होंने निश्चित रूप से मनुष्य के विचारों और कल्पनाओं के अनुसार प्रभु यीशु को आंका जो कि पहले ही आ चुके थे। अंत में, उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया था।

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