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गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

पतरस ने यीशु को कैसे जाना



उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु वह केवल उसके प्रति आदर और प्रशंसा के भाव के कारण उसका अनुसरण करने को तैयार रहता था।

मंगलवार, 27 अगस्त 2019

तुम विश्वास के विषय में क्या जानते हो?



मनुष्य केवल विश्वास के अनिश्चित शब्द पर बना रहता है, फिर भी मनुष्य यह नहीं जानता है कि वह क्या है जो विश्वास का निर्माण करता है, और यह तो बिलकुल ही नहीं जानता है कि उसके पास विश्वास क्यों है। मनुष्य बहुत ही कम जानता है और स्वयं मनुष्य में बहुत सारी कमियाँ हैं; वह बस लापरवाही और अज्ञानता से मुझ पर विश्वास रखता है। यद्यपि वह नहीं जानता है कि विश्वास क्या है न ही वह यह जानता है कि वह क्यों मुझ पर विश्वास रखे हुए है, वह सनक के साथ निरन्तर ऐसा करता रहता है। जो मैं मनुष्य से चाहता हूँ वह मात्र यह नहीं है कि वह सनक के साथ मुझे इस तरह पुकारे या अव्यवस्थित रीति से मुझ पर विश्वास करे।

शनिवार, 10 अगस्त 2019

पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें



परमेश्वर के सामने तुम सभी लोग पुरस्कार प्राप्त करके और उसकी नज़रों में उसके अनुग्रह की वस्तु बन कर प्रसन्न होते हो। यह हर एक की इच्छा होती है जब वह परमेश्वर पर विश्वास करना प्रारम्भ करता है, क्योंकि मनुष्य सम्पूर्ण हृदय से ऊँची चीज़ों के लिए प्रयास करता है और कोई भी दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता है। यही मनुष्य का तरीका है। निश्चित रूप से इसी कारण, तुम लोगों में से कई स्वर्ग के परमेश्वर से अनुग्रह प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं, फिर भी वास्तव में, परमेश्वर के प्रति तुम लोगों की वफादारी और निष्कपटता, तुम लोगों की स्वयं के प्रति तुम लोगों की वफादारी और निष्कपटता से बहुत कम है। मैं ऐसा क्यों कहता हूँ? क्योंकि मैं परमेश्वर के प्रति तुम्हारी वफादारी को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता हूँ, और तुम लोगों के हृदय में विद्यमान परमेश्वर के अस्तित्व को पूरी तरह से नकारता हूँ।

शनिवार, 3 अगस्त 2019

क्या तुम परमेश्वर के एक सच्चे विश्वासी हो?



हो सकता है कि परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास की यात्रा एक या दो वर्ष पुरानी हो, और हो सकता है कि इन वर्षों से अधिक भी हो जिसमें तुमने कठिनाइयों को देखा हो; या शायद तुम कठिनाइयों में होकर ही न गए हो और इसके बजाय अत्यधिक अनुग्रह को प्राप्त किया हो। ऐसा भी हो सकता है कि तुमने न ही कठिनाइयों का और न ही अनुग्रह का अनुभव किया हो, परन्तु इसके बजाए बहुत ही साधारण सा जीवन व्यतीत किया हो। चाहे कुछ भी हो, फिर भी तुम परमेश्वर के एक अनुयायी हो, इसलिए आओ उसके पीछे चलने के बारे में बातचीत करें।

बुधवार, 31 जुलाई 2019

Hindi Christian Video "साम्यवाद का झूठ" क्लिप 2 - विज्ञान मानवजाति के लिए वरदान रहा है या अभिशाप?


Hindi Christian Video "साम्यवाद का झूठ" क्लिप 2 - विज्ञान मानवजाति के लिए वरदान रहा है या अभिशाप?

भौतिकवाद और विकासवाद के सिद्धांत जैसे तर्कों का उपयोग करके, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी परमेश्वर के अस्तित्व और परमेश्वर के शासन को नकारने में कोई कसर नहीं छोड़ती। वे यह भी मानते हैं कि विज्ञान विकास ला सकता है और इंसान को सुख दे सकता है। क्या वाकई इसमें कोई सच्चाई है? क्या आज का वैज्ञानिक विकास आखिर मानवता के लिए वरदान लाया है या अभिशाप?

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

Hindi Christian Video "साम्यवाद का झूठ" क्लिप 1 - धार्मिक विश्वास की निंदा करने के लिए सामन्ती अन्धविश्वास के प्रयोग में सीसीपी के इरादे


Hindi Christian Video "साम्यवाद का झूठ" क्लिप 1 - धार्मिक विश्वास की निंदा करने के लिए सामन्ती अन्धविश्वास के प्रयोग में सीसीपी के इरादे

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का ख्याल है कि धार्मिक आस्था, वैज्ञानिक ज्ञान में पिछड़ी हुई मानवता की अलौकिक शक्तियों के डर और आराधना के कारण पैदा हुई, और वह कहती है कि धर्म अंधविश्वास है। यही नहीं, वे सामंती अंधविश्वास का विरोध करने के नाम पर धार्मिक आस्था की निंदा करते हुए उस पर प्रतिबंध लगाते हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के इन नज़रियों की बुनियाद क्या है? आखिर धार्मिक आस्था की सामंती अंधविश्वास के रूप में निंदा करने का चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का बेतुकापन कहाँ तक है?

सोमवार, 29 जुलाई 2019

केवल वही जो परमेश्वर को जानते हैं, उसकी गवाही दे सकते हैं



यह स्वर्ग का नियम और पृथ्वी का सिद्धांत है कि परमेश्वर पर विश्वास किया जाए और उसको जाना जाए, और आज - इस युग के दौरान जब देहधारी परमेश्वर स्वयं अपना कार्य करता है - यह परमेश्वर को जानने के लिए विशेष अच्छा समय है। परमेश्वर को संतुष्ट करना उसकी इच्छा को समझने पर आधारित है, और परमेश्वर की इच्छा को जानने के लिए, परमेश्वर को अच्छी तरह से जानना आवश्यक है।

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

पतरस ने यीशु को कैसे जाना



उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु विशुद्ध रूप से उसकी प्रशंसा के लिए वह उसका अनुसरण करने का इच्छुक था। जब यीशु ने गलील के तट पर उसे पहली बार बुलाया, तो उसने पूछाः "शमौन, योना के पुत्र, क्या तू मेरा अनुसरण करेगा?" पतरस ने कहा: "मुझे उसका अवश्य अनुसरण करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जो पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है।

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में भाग दो



शुरुआत में, जब यीशु ने आधिकारिक रूप से अपनी सेवकाई को क्रियान्वित नहीं किया था, उन चेलों के समान जिन्होंने उनका अनुसरण किया था, वह भी कई बार सभाओं में सम्मिलित हुआ, और आत्मिक भजनों को गाया, प्रशंसा की, और मन्दिर में पुराना नियम पढ़ा। जब उसने बपतिस्मा लिया और बाहर आया उसके बाद, आत्मा आधिकारिक रूप से उस पर उतरा और कार्य करना शुरू किया, और अपनी पहचान एवं उस सेवकाई को प्रकट किया जिसे वह शुरू करनेवाला था। इससे पहले, कोई उसकी पहचान को नहीं जानता था, और मरियम को छोड़कर, यहाँ तक कि यूहन्ना भी नहीं जानता था। यीशु 29 वर्ष का था जब उसने बपतिस्मा लिया। जब उसका बपतिस्मा पूरा हो गया उसके बाद, आकाश खुल गया और एक आवाज आई: "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।" जब एक बार यीशु को बपतिस्मा दे दिया गया, पवित्र आत्मा ने इस रीति से उसकी गवाही देना शुरू कर दिया। 29 वर्ष की आयु में बपतिस्मा दिए जाने से पहले, उसने एक साधारण मनुष्य का जीवन जीया था, उसने तब खाया जब उसे खाना चाहिए था, वह सामान्य रूप से सोता एवं कपड़े पहनता था, और उसके विषय में कोई भी चीज़ दूसरों से अलग नहीं थी।

सोमवार, 22 जुलाई 2019

पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में भाग एक



यदि आप परमेश्वर के उपयोग के लिए उपयुक्त होने की कामना करते हैं; तो आपको उस कार्य के बारे में जानना होगा जिसे उसने पहले किया था (नए एवं पुराने नियम में); और, इसके अतिरिक्त, आपको उसके वर्तमान कार्य को जानना होगा। कहने का तात्पर्य है, आपको 6,000 सालों से ऊपर के परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना होगा। यदि आपको सुसमाचार फैलाने के लिए कहा जाये, तो आप परमेश्वर के कार्य को जाने बिना ऐसा करने में सक्षम नहीं होंगे। लोग आप से बाईबिल, एवं पुराने नियम, एवं उस समय यीशु ने जो कुछ कहा और किया था उन सब के विषय में पूछेंगे। वे कहेंगे, "क्या आप लोगों के परमेश्वर ने आप लोगों को यह सब नहीं बताया है? यदि वह (परमेश्वर) आप लोगों को यह नहीं बता सकता है कि बाईबिल में वास्तव में क्या हो रहा है, तो वह परमेश्वर नहीं है; यदि वह बता सकता है, तो हम आश्वस्त हो गए हैं।" शुरुआत में, यीशु ने अपने चेलों के साथ पुराने नियम के बारे में बहुत बातचीत की थी।

रविवार, 14 जुलाई 2019

मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना भाग तीन



परमेश्वर में जीवधारियों के प्रति कोई द्वेष नहीं है और वह केवल शैतान को पराजित करना चाहता है। उसके सम्पूर्ण कार्य-चाहे वह ताड़ना हो या न्याय – को शैतान की ओर निर्देशित किया गया है; इसे मानवजाति के उद्धार के लिए सम्पन्न किया जाता है, यह सब शैतान को पराजित करने के लिए है, और इसका एक उद्देश्य है: बिलकुल अन्त तक शैतान के साथ युद्ध करना! और परमेश्वर जब तक शैतान पर विजय प्राप्त ना कर ले वह कभी विश्राम नहीं करेगा! वह विश्राम तभी करेगा जब वह एक बार शैतान को हरा दे। क्योंकि परमेश्वर के द्वारा किए गए समस्त कार्य को शैतान की ओर निर्देशित किया गया है, और क्योंकि ऐसे लोग जिन्हें शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है वे सभी शैतान के प्रभुत्व के नियन्त्रण में हैं और सभी शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताते हैं, यदि परमेश्वर ने शैतान के विरुद्ध युद्ध नहीं किया होता या उन्हें उससे छुड़ाकर अलग नहीं किया होता, तो शैतान ने इन लोगों पर से अपने शिकंजे को ढीला नहीं किया होता, और उन्हें अर्जित नहीं किया जा सकता था।

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई भाग दो



सबसे पहले, परमेश्वर ने आदम और हव्वा का सृजन किया, और उसने साँप का भी सृजन किया। सभी चीज़ों में साँप सर्वाधिक विषैला था; उसकी देह में विष था, और शैतान उस विष का उपयोग करता था। यह साँप ही था जिसने पाप करने के लिए हव्वा को प्रलोभित किया। हव्वा के बाद आदम ने पाप किया, और तब वे दोनों अच्छे और बुरे के बीच भेद करने में समर्थ हो गए थे। यदि यहोवा जानता था कि साँप हव्वा को प्रलोभित करेगा और हव्वा आदम को प्रलोभित करेगी, तो उसने उन सबको एक ही वाटिका के भीतर क्यों रखा? यदि वह इन चीज़ों का पूर्वानुमान करने में समर्थ था, तो उसने क्यों साँप की रचना की और उसे अदन की वाटिका के भीतर रखा? अदन की वाटिका में अच्छे और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल क्यों था? क्या वह चाहता था कि वे उस फल को खाएँ? जब यहोवा आया, तब न आदम को और न हव्वा को उसका सामना करने का साहस हुआ, और केवल इसी समय यहोवा को पता चला कि उन्होंने अच्छे और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया है और वे साँप के छल-कपट का शिकार बन गए हैं।

बुधवार, 10 जुलाई 2019

तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई भाग एक



6000 वर्षों के दौरान कार्य की समग्रता समय के साथ धीरे-धीरे बदल गई है। इस कार्य में बदलाव समस्त संसार की परिस्थितियों के अनुसार हुए हैं। परमेश्वर का प्रबंधन का कार्य केवल मानवजाति के पूर्णरूपेण विकास की प्रवृत्ति के अनुसार धीरे-धीरे रूपान्तरित हुआ है; सृष्टि के आरंभ में इसकी पहले से योजना नहीं बनाई गई थी। संसार का सृजन करने से पहले, या इसके सृजन के ठीक बाद, यहोवा ने अभी तक कार्य के प्रथम चरण, व्यवस्था की; कार्य के दूसरे चरण—अनुग्रह की; और कार्य के तीसरे चरण—जीतने की योजना नहीं बनायी थी, जिनमें वह सबसे पहले लोगों के एक समूह—मोआब के कुछ वंशजों के बीच कार्य करता, और इससे वह समस्त ब्रह्माण्ड को जीतता। उसने संसार का सृजन करने के बाद ये वचन नहीं कहे; उसने ये वचन मोआब के बाद नहीं कहे, लूत से पहले की तो बात ही छोड़ो। उसका समस्त कार्य अनायास ही किया गया था।

गुरुवार, 27 जून 2019

परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम भाग तीन



वह कार्य जो मनुष्य के दिमाग में होता है उसे बहुत ही आसानी से मनुष्य के द्वारा प्राप्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, इस धार्मिक संसार में पास्टर एवं अगुवे अपने कार्य को करने के लिए अपने वरदानों एवं पदों पर भरोसा रखते हैं। ऐसे लोग जो लोग लम्बे समय से उनका अनुसरण करते हैं वे उनके वरदानों के द्वारा संक्रमित हो जाएंगे और जो वे हैं उनमें से कुछ के द्वारा उन्हें प्रभावित किया जाएगा। वे लोगों के वरदानों, योग्यताओं एवं ज्ञान पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, और वे कुछ अलौकिक कार्यों और अनेक गम्भीर अवास्तविक सिद्धान्तों पर ध्यान देते हैं (हाँ वास्तव में, इन गम्भीर सिद्धान्तों को हासिल नहीं किया जा सकता है)। वे लोगों के स्वभाव के परिवर्तनों पर ध्यान केन्द्रित नहीं करते हैं, किन्तु इसके बजाए वे लोगों के प्रचार एवं कार्य करने की योग्यताओं को प्रशिक्षित करने, और लोगों के ज्ञान एवं समृद्ध धार्मिक सिद्धान्तों को बेहतर बनाने के ऊपर ध्यान केन्द्रित करते हैं। वे इस पर ध्यान केन्द्रित नहीं करते हैं कि लोगों के स्वभाव में कितना परिवर्तन हुआ है या इस पर कि लोग सत्य को कितना समझते हैं।

बुधवार, 26 जून 2019

परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम भाग दो



पवित्र आत्मा का कार्य कुल मिलाकर लोगों को इस योग्य बनाना है कि वे लाभ प्राप्त कर सकें; यह कुल मिलाकर लोगों की उन्नति के विषय में है; ऐसा कोई कार्य नहीं है जो लोगों को लाभान्वित न करता हो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्य गहरा है या उथला, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन लोगों की क्षमता किसके समान है जो सत्य को स्वीकार करते हैं, जो कुछ भी पवित्र आत्मा करता है, यह सब लोगों के लिए लाभदायक है। परन्तु पवित्र आत्मा का कार्य सीधे तौर पर नहीं किया जाता है; इसे उन मनुष्यों से होकर गुज़रना होगा जो उसके साथ सहयोग करते हैं। यह केवल इसी रीति से होता है जिससे पवित्र आत्मा के कार्य के परिणामों को प्राप्त किया जा सकता है। हाँ वास्तव में, जब यह पवित्र आत्मा का प्रत्यक्ष कार्य है, तो इसमें मिलावट बिलकुल भी नहीं की जाती है; परन्तु जब यह मनुष्य के माध्यम का उपयोग करता है, तो यह अत्यंत मिश्रित हो जाता है और यह पवित्र आत्मा का मूल कार्य नहीं है।

मंगलवार, 25 जून 2019

परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम भाग एक



मनुष्य के काम में कितना कार्य पवित्र आत्मा का कार्य है और कितना मनुष्य का अनुभव है? यहाँ तक कि अब भी, ऐसा कहा जा सकता है कि लोग अब तक इन प्रश्नों को नहीं समझते हैं, यह सब इसलिए है क्योंकि लोग पवित्र आत्मा के कार्य करने के सिद्धान्तों को नहीं समझते हैं। मनुष्य का काम जिसके बारे में मैं बात कर रहा हूँ वह वास्तव उन लोगों के कार्य की ओर संकेत कर रहा है जिनके पास पवित्र आत्मा का कार्य है या ऐसे लोग जिन्हें पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किया जाता है। मैं उस कार्य की ओर संकेत नहीं कर रहा हूँ जो मनुष्य की इच्छा से उत्पन्न होता है किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य के दायरे के भीतर प्रेरितों, कार्यकर्ताओं या सामान्य भाईयों एवं बहनों के कामों की ओर संकेत कर रहा हूँ।

सोमवार, 24 जून 2019

क्या त्रित्व का अस्तित्व है? भाग दो



यह अधिकांश लोगों को उत्पत्ति से परमेश्वर के शब्दों को याद दिला सकता है: "हम मनुष्य को अपनी छवि में बनाएँ, हमारे समान।" यह देखते हुए कि परमेश्वर कहता है, "हम" मनुष्य को "अपनी" छवि में बनाएँ, तो "हम" इंगित करता है दो या अधिक; चूंकि उसने "हम" कहा, फिर सिर्फ एक ही परमेश्वर नहीं है। इस तरह, मनुष्य ने अलग व्यक्तियों की कल्पना पर विचार करना शुरू कर दिया, और इन शब्दों से पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा का विचार उभरा। तो फिर पिता कैसा है? पुत्र कैसा है? और पवित्र आत्मा कैसा है? क्या संभवत: यह हो सकता है कि आज की मानवजाति एक ऐसी छवि में बनाई गई थी, जो तीनों से मिलकर बनती है? तो मनुष्य की छवि क्या पिता की तरह है, या पुत्र की तरह या पवित्र आत्मा की तरह है? मनुष्य परमेश्वर के किस जन की छवि है? मनुष्य का यह विचार बस ग़लत और अतर्कसंगत है! यह केवल एक परमेश्वर को कई परमेश्वरों में विभाजित कर सकता है।

रविवार, 23 जून 2019

क्या त्रित्व का अस्तित्व है? भाग एक



यीशु के देहधारी होने के सत्य के विकसित होने के बाद ही मनुष्य इस बात को महसूस कर पाया: यह न केवल स्वर्ग का परमेश्वर है, बल्कि यह पुत्र भी है, और यहां तक कि वह आत्मा भी है। यह पारम्परिक धारणा है जिसे मनुष्य धारण किए हुए है, कि एक ऐसा परमेश्वर है जो स्वर्ग में हैः एक त्रित्व जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा है, और ये सभी एक में हैं। सभी मानवों की यही धारणाएं हैं: परमेश्वर केवल एक ही परमेश्वर है, परन्तु उसके तीन भाग हैं, जिसे कष्टदायक रूप से पारंपरिक धारणा में दृढ़ता से जकड़े सभी लोग पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा मानते हैं। केवल यही तीनों संपूर्ण परमेश्वर को बनाते हैं। बिना पवित्र पिता के परमेश्वर संपूर्ण नहीं बनता है। इसी प्रकार से परमेश्वर पुत्र और पवित्र आत्मा के बिना संपूर्ण नहीं है। उनके विचार में वे यह विश्वास करते हैं कि सिर्फ पिता और सिर्फ पुत्र को ही परमेश्वर नहीं माना जा सकता। केवल पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा को एक साथ मिलाकर स्वयं सम्पूर्ण परमेश्वर माना जा सकता है। अब, तुममें से प्रत्येक अनुयायी समेत, सभी धार्मिक विश्वासी, इस बात पर विश्वास करते हैं।

मंगलवार, 18 जून 2019

“कार्य और प्रवेश” पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग छे:



36. सृष्टि से लेकर अब तक, परमेश्वर ने इतनी पीड़ा सहन की है, और इतने सारे हमलों का सामना किया है। पर आज भी, मनुष्य परमेश्वर से अपनी माँगे कम नहीं करता है, वह आज भी परमेश्वर की जाँच करता है, आज भी उसमें उसके प्रति कोई सहिष्णुता नहीं है, और उसे सलाह देने, आलोचना करने और अनुशासित करने के अलावा मनुष्य और कुछ भी नहीं करता है, जैसे कि उसे गहरा भय हो कि परमेश्वर भटक जाएगा, कि पृथ्वी पर परमेश्वर पाशविक और अनुचित है, या दंगा कर रहा है, या वह कुछ भी काम का न रह जाएगा। मनुष्य का परमेश्वर के प्रति हमेशा इस तरह का रवैया रहा है। यह कैसे परमेश्वर को दुखी नहीं करता? देह धारण करने में, परमेश्वर ने जबरदस्त वेदना और अपमान को सहन किया है; मनुष्य की शिक्षाओं को स्वीकार करने के लिये परमेश्वर की और कितनी दुर्गति होगी? मनुष्य के बीच उसके आगमन ने उसकी सारी स्वतंत्रता छीन ली है, जैसे कि उसे अधोलोक में बंदी बना लिया गया हो, और उसने मनुष्य के विश्लेषण को थोड़े-से भी प्रतिरोध के बिना स्वीकार कर लिया है।

शनिवार, 15 जून 2019

Hindi Christian Movie "बच्चे, घर लौट आओ" क्लिप 2 - संसार इतना अंधकारमय और दुष्ट क्यों है

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आज कई नवयुवाओं के ऑनलाइन गेमिंग से सम्मोहित होने और उसके चंगुल से निकल पाने में असमर्थ होने के साथ, और युवाओं की प्रत्येक पीढ़ी के पिछली पीढ़ी की तुलना में बदतर होने के साथ, कई लोगों के पास यह पूछने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है कि: क्यों हमारे युवाओं को विषाक्त करने के लिए समाज को लगातार ऑनलाइन गेमिंग का समर्थन, विकास, और उसे प्रोत्साहित करना पड़ता है? दुनिया इतनी अंधकारमय़ और दुष्ट क्यों है?

Hindi Christian Movie | अग्नि द्वारा बप्तिस्मा | Can We Enter the Kingdom of Heaven by Hard Work?

Hindi Christian Movie | अग्नि द्वारा बप्तिस्मा | Can We Enter the Kingdom of Heaven by Hard Work?       प्रभु यीशु ने कहा, "जो म...