क्या तुम यीशु को देखना चाहते हो? क्या तुम यीशु के साथ रहना चाहते हो? क्या तुम यीशु के द्धारा कहे गए वचनों को सुनना चाहते हो? यदि ऐसा है, तो तुम यीशु के लौटने का कैसे स्वागत करोगे? क्या तुम पूरी तरह से तैयार हो? किस ढंग से तुम यीशु के लौटने का स्वागत करोगे? मुझे लगता है कि प्रत्येक भाई-बहन जो यीशु का अनुसरण करते हैं, यीशु का अच्छी तरह से स्वागत करना चाहेंगे। परन्तु क्या तुम लोगों ने इस पर विचार किया है: जब यीशु वापस आएगा तो क्या तुम सचमुच में उसे पहचान लोगे? क्या तुम लोग सचमुच में वह सब कुछ समझ जाओगे जो वह कहेगा? क्या तुम लोग वे सब कार्य जो यीशु करेगा, उन्हें बिना किसी शर्त के सचमुच में स्वीकार कर लोगे? वे सब लोग जिन्होंने बाइबल पढ़ी है, जो यीशु के लौटने के बारे में जानते हैं, और वे सब लोग जिन्होंने बाइबल को अभिप्राय से पढ़ी है, उसके आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।
उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु वह केवल उसके प्रति आदर और प्रशंसा के भाव के कारण उसका अनुसरण करने को तैयार रहता था।