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बुधवार, 25 सितंबर 2019

Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर

Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर

कितना सुंदर! उसके कदम हैं ज़ैतून के पर्वत पर। सुनो, मिलकर गाते ऊँचे सुर में हम पहरेदार, लौट आया सिय्योन में परमेश्वर। देख चुके हम यरूशलेम का सूनापन! मिलकर गाएँ, गाएँ ख़ुशी से हम अब, परमेश्वर ने हमें आराम दिया और यरूशलेम का उद्धार किया। दिखलाता पवित्र भुजा अपनी परमेश्वर सकल देशों के सम्मुख, सच में जैसा है वैसा दिखता परमेश्वर।

शनिवार, 21 सितंबर 2019

Hindi Christian Video "संकट में स्वर्गारोहण" क्लिप 8 - देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर जिनका उपयोग करता है, उनमें मौलिक भेद क्या है?

Hindi Christian Video "संकट में स्वर्गारोहण" क्लिप 8 - देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर जिनका उपयोग करता है, उनमें मौलिक भेद क्या है?


परमेश्वर कहता है, "परमेश्वर के वचन को मनुष्यों के वचन के रूप में नहीं कहा जा सकता है, और मनुष्य के वचन को परमेश्वर के वचन के रूप में तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता है।

शनिवार, 17 अगस्त 2019

Hindi Christian Video "विजय गान" क्लिप 1 - अपने पुनरागमन पर प्रभु कैसे प्रकट होंगे और वे अपना कार्य कैसे करेंगे?


Hindi Christian Video "विजय गान" क्लिप 1 - अपने पुनरागमन पर प्रभु कैसे प्रकट होंगे और वे अपना कार्य कैसे करेंगे?

अंत के दिनों में भीषण आपदा के अपशकुन–चार रक्तिम चंद्रमा प्रकट हो चुके हैं और आसमान में सितारों ने एक अजीब रूप ले लिया है; भीषण आपदायें करीब आ रही हैं, और प्रभु में विश्वास करने वाले कई लोगों को यह अनुभव होने लगा था कि प्रभु का दूसरा आगमन होने वाला है या उनका आगमन पहले ही हो चुका है।

रविवार, 11 अगस्त 2019

तुम्हें पता होना चाहिए कि व्यावहारिक परमेश्वर ही स्वयं परमेश्वर है



तुम्हें व्यावहारिक परमेश्वर के बारे में क्या पता होना चाहिए? आत्मा, शरीर और वचन मिलकर ही स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर को बनाते हैं; और यही स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर का वास्तविक अर्थ है। यदि तू सिर्फ़ शरीर के बारे में जानता है, यदि तू उसकी आदतों, और उसके चरित्र के बारे में जानता है, लेकिन तू आत्मा के कार्य या देह में आत्मा के कार्य के बारे में कुछ नहीं जानता है, और सिर्फ़ आत्मा और वचन पर ध्यान देता है, और केवल आत्मा के सामने प्रार्थना करता है, व्यावहारिक परमेश्वर में परमेश्वर के आत्मा के कार्य के बारे में कुछ भी जाने बिना, तब भी यह साबित करता है कि तुझे व्यावहारिक परमेश्वर के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है।

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा उपयोग किए गए लोगों के बीच महत्वपूर्ण अंतर



बहुत वर्षों से जैसे-जैसे परमेश्वर का आत्मा पृथ्वी पर कार्य करता जा रहा है वह निरंतर खोजता आ रहा है। युगों भर में परमेश्वर ने अपने कार्य को करने के लिए बहुत से लोगों का उपयोग किया है। फिर भी, परमेश्वर के आत्मा के पास आराम के लिए अभी भी कोई उपयुक्त स्थान नहीं है। इसलिए परमेश्वर भिन्न-भिन्न लोगों के बीच निरंतर इधर-उधर घूमते हुए अपना कार्य करता है, और कुल मिला कर वह इसे करने के लिए लोगों का उपयोग करता है। अर्थात्, इन सभी वर्षों में, परमेश्वर का कार्य कभी नहीं रुका है, बल्कि पूरी तरह से आज के दिन तक भी यह लगातार मनुष्य में आगे बढ़ाया जा रहा है।

सोमवार, 1 जुलाई 2019

परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार भाग दो



इससे पहले कि यीशु अपना कार्य करता, वह अपनी सामान्य मानवता में जीया। कोई नहीं कह सकता था कि वह परमेश्वर है, किसी को भी पता नहीं चला कि वह देहधारी परमेश्वर है; लोग उसे केवल एक पूर्णतः साधारण व्यक्ति समझते थे। उसकी सर्वथा सामान्य, साधारण मानवता इस बात का प्रमाण थी कि परमेश्वर ने देह में देहधारण किया है, और यह कि अनुग्रह का युग देहधारी परमेश्वर के कार्य का युग है, न कि पवित्रात्मा के कार्य का युग। यह इस बात का प्रमाण थी कि परमेश्वर का आत्मा पूरी तरह से देह में साकार हुआ है, कि परमेश्वर के देहधारण के युग में उसका देह पवित्रात्मा का समस्त कार्य करेगा। सामान्य मानवता वाला मसीह ऐसा देह है जिसमें सामान्य मानवता, सामान्य विवेक, और मानविक विचार को धारण करते हुए, आत्मा साकार होता है।

रविवार, 30 जून 2019

परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार भाग एक



पहला देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर साढ़े तैंतीस साल रहा, फिर भी उसने अपनी सेवकाई को उन सालों में से केवल साढ़े तीन साल तक ही किया। अपना कार्य करने के दौरान और अपना कार्य आरम्भ करने से पहले, इन दोनों समयों में, वह अपनी सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। वह अपनी साधारण मानवता में साढ़े तैंतीस साल तक रहा। पूरे साढ़े तीन साल तक उसने अपने आप को देहधारी परमेश्वर के रूप में प्रकट किया। अपनी सेवकाई का कार्य प्रारम्भ करने से पहले, अपनी दिव्यता का कोई भी चिन्ह प्रकट नहीं करते हुए, वह अपनी साधारण और सामान्य मानवता के साथ प्रकट हुआ, और यह केवल उसकी सेवकाई को औपचारिक तौर पर प्रारम्भ करने के बाद ही हुआ कि उसकी दिव्यता प्रदर्शित की गई थी।

सोमवार, 10 जून 2019

"देहधारण का रहस्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग चार



25. परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को सीधे तौर पर पवित्रात्मा के साधनों के माध्यम से या आत्मा के रूप में बचाया नहीं जाता है, क्योंकि उसके आत्मा को मनुष्य के द्वारा न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है, और मनुष्य के द्वारा उस तक पहुँचा नहीं जा सकता है। यदि उसने आत्मा के तरीके से सीधे तौर पर मनुष्य को बचाने का प्रयास किया होता, तो मनुष्य उसके उद्धार को प्राप्त करने में असमर्थ होता। और यदि परमेश्वर सृजित मनुष्य का बाहरी रूप धारण नहीं करता, तो वे इस उद्धार को पाने में असमर्थ होते। क्योंकि मनुष्य किसी भी तरीके से उस तक नहीं पहुँच सकता है, उसी प्रकार जैसे कोई भी मनुष्य यहोवा के बादल के पास नहीं जा सकता था।

रविवार, 9 जून 2019

"देहधारण का रहस्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग तीन



15. देहधारी परमेश्वर का कार्य उन व्यक्तियों के समान नहीं है जिन्हें पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किया गया था। जब परमेश्वर पृथ्वी पर अपना काम करता है, तब वह केवल अपनी सेवकाई को पूरा करने की परवाह करता है। जहाँ तक अन्य मुद्दों की बात है जो उसकी सेवकाई से सम्बन्धित नहीं हैं, वह व्यावहारिक रूप से कोई भाग नहीं लेता है, यहाँ तक कि उस हद तक जहाँ वह जान-बूझकर अनदेखा करता है। वह मात्र उस कार्य को करता है जो उसे अवश्य करना चाहिए, और वह उस कार्य के विषय में तो बिलकुल भी परवाह नहीं करता है जो मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। जिस कार्य को वह करता है वह केवल उस युग से सम्बन्धित है जिसमें वह है और उस सेवकाई से सम्बन्धित है जिसे उसे अवश्य पूरा करना चाहिए, मानो कि अन्य सभी मुद्दे उसकी ज़िम्मेदारी नहीं हैं।

शनिवार, 8 जून 2019

"देहधारण का रहस्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग दो



7. देह में परमेश्वर के आत्मा के कार्य के भी अपने स्वयं के सिद्धान्त हैं। वह परमपिता के कार्य और उत्तरदायित्व को केवल इस आधार पर अपने ऊपर ले सकता था कि वह सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। केवल तभी वह अपना काम प्रारम्भ कर सका था। अपने बचपन में, जो कुछ प्राचीन समयों में घटित हुआ था यीशु उन्हें बहुत ज़्यादा नहीं समझ सकता था, और केवल रब्बियों से पूछने के माध्यम से ही वह समझ पाता था। यदि जब उसने पहली बार बोलना सीखा था तब उसने अपने कार्य को आरम्भ किया होता, तो कोई ग़लती न करना कैसे सम्भव हो गया होता? परमेश्वर कैसे ग़लतियाँ कर सकता है? इसलिए, यह केवल उसके समर्थ होने के पश्चात् ही हुआ कि उसने अपना काम आरम्भ किया; उसने तब तक किसी भी कार्य को नहीं किया जब तक वह ऐसे कार्य को आरम्भ करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो गया।

शुक्रवार, 7 जून 2019

"देहधारण का रहस्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक



1. अनुग्रह के युग में, यूहन्ना ने यीशु का मार्ग प्रशस्त किया। वह स्वयं परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकता था और उसने मात्र मनुष्य का कर्तव्य पूरा किया था। यद्यपि यूहन्ना प्रभु का अग्रदूत था, फिर भी वह परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता था; वह आत्मा के द्वारा उपयोग किया गया मात्र एक मनुष्य था। यीशु के बपतिस्मा के बाद "पवित्र आत्मा कबूतर के समान उस पर उतरा।" तब उसने अपना काम आरम्भ किया, अर्थात्, उसने मसीह की सेवकाई करना प्रारम्भ किया। इसीलिए उसने परमेश्वर की पहचान को अपनाया, क्योंकि वह परमेश्वर से आया था। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि इससे पहले उसका विश्वास कैसा था—कदाचित् कभी-कभी यह दुर्बल था, या कभी-कभी यह मज़बूत था—अपनी सेवकाई को करने से पहले यह सब उसका सामान्य मानव जीवन था।

शुक्रवार, 24 मई 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं"



सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाईयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात्, इस से पहले कि तुम लोग देहधारी परमेश्वर को देखो, तुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने का तरीका, उसके जीवन का तरीका, और इत्यादि। तथापि, जब तुम सब वास्तव में उसे देखते हो, तुम्हारे विचार तेजी से बदल जाएँगे। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोग जानना चाहते हो? जबकि मनुष्य के सोच विचारों को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है, यह मनुष्य के लिए बहुत अधिक असहनीय है कि वह मसीह के सार में परिवर्तन करे।

शनिवार, 11 मई 2019

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं"



परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण का एक वास्तविक महत्व है। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, और इस बार वह स्त्री है। इससे, तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया और वह लिंग के बारे में कोई भी भेदभाव नहीं करता है। जब उसका आत्मा आगमन करता है, तो वह इच्छानुसार किसी भी देह को धारण कर सकता है और वह देह उसका ही प्रतिनिधित्व करती है। चाहे यह पुरुष हो या स्त्री, दोनों ही परमेश्वर को प्रकट करते हैं क्योंकि यह उसका देहधारी शरीर है। यदि यीशु एक स्त्री के रूप में आ जाता और प्रकट हो जाता, दूसरे शब्दों में, यदि पवित्र आत्मा के द्वारा एक शिशु कन्या, न कि एक लड़का, गर्भधारण किया जाना होता, तब भी कार्य का वह चरण उसी तरह से पूरा किया गया होता। यदि ऐसा है, कि इसके बजाय कार्य का यह स्तर एक पुरुष के द्वारा पूरा किया जाना होता और तब भी वह कार्य उसी तरह से पूरा किया जाता।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है

देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं। मसीह का सार पवित्र आत्मा, अर्थात्, दिव्यता है।

शनिवार, 16 मार्च 2019

74. अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य आत्मा के माध्यम से क्यों नहीं किया जाता है? परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए देह में क्यों आ गया है?

उत्तर परमेश्वर के वचन से:
परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को सीधे तौर पर पवित्रात्मा के साधनों के माध्यम से या आत्मा के रूप में बचाया नहीं जाता है, क्योंकि उसके आत्मा को मनुष्य के द्वारा न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है, और मनुष्य के द्वारा उस तक पहुँचा नहीं जा सकता है। यदि उसने आत्मा के तरीके से सीधे तौर पर मनुष्य को बचाने का प्रयास किया होता, तो मनुष्य उसके उद्धार को प्राप्त करने में असमर्थ होता। और यदि परमेश्वर सृजित मनुष्य का बाहरी रूप धारण नहीं करता, तो वे इस उद्धार को पाने में असमर्थ होते।

रविवार, 10 मार्च 2019

68. यह क्यों ज़रूरी था कि मानवजाति के सामने स्वयं को प्रकट करने के लिए, प्रभु मनुष्य-पुत्र के रूप में देहधारण करके वापस आएँ?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर ने देहधारण किया क्योंकि शैतान का आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ उसके कार्य का विषय नहीं है, परन्तु मनुष्य है, जो शरीर से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया है। निश्चित रूप से चूँकि मनुष्य की देह को भ्रष्ट किया गया है इसलिए परमेश्वर ने हाड़-मांस के मनुष्य को अपने कार्य का विषय बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का विषय है, उसने मनुष्य को अपने उद्धार के कार्य के समस्त चरणों के दौरान अपने कार्य का एकमात्र विषय बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-मांस एवं लहू से बना हुआ है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है। इस रीति से, परमेश्वर को अपना कार्य करने के लिए ऐसा देह बनना होगा जो मनुष्य के समान ही गुणों को धारण करता है, ताकि उसका कार्य बेहतर प्रभावों को हासिल कर सके।

शुक्रवार, 8 मार्च 2019

66. प्रभु यीशु ने कहा था कि वे वापस आएँगे, और उनकी वापसी की रीति क्या होगी?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को देखने की इच्छा की है जब वह एक सफेद बादल पर सवार व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता की वापसी और लोगों के साथ उसके फिर से जुड़ने की लालसा की है, अर्थात्, उद्धारकर्त्ता यीशु के उन लोगों के पास वापस आने की लालसा की है जिनसे वह हज़ारों सालों से अलग रहा है।

सोमवार, 4 मार्च 2019

62. बाइबल में वाकई ऐसे बहुत-से स्थान हैं जहां परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की भविष्यवाणी की गयी है। हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और उनके कार्य के बारे में जानना चाहेंगे; ये किस प्रकार से उन भविष्यवाणियों को साकार कर उन्हें हासिल करेंगे?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
जब मैं अंत के दिनों में अपनी पुस्तक को खोलूँगा तब मैं तुम लोगों को बताऊँगा। (पुस्तक उन सभी वचनों को संदर्भित करता है जो मैंने बोले हैं, अंत के दिनों में मेरे वचन—यह सब इसके अंदर हैं।)
"वचन देह में प्रकट होता है" से "एक सौ दसवाँ कथन" से
मनुष्य विश्वास करता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरूत्थान के बाद, यीशु सफेद बादल पर स्वर्ग में वापस चला गया, और उसने सर्वोच्च महान के दाएँ हाथ पर अपना स्थान ग्रहण किया। उसी प्रकार, मनुष्य कल्पना करता है कि यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल की ओर संकेत करता है जिस पर यीशु तब सवार हुआ था जब वह स्वर्ग में वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बहुत अधिक लालसा रखी है, और यह कि वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा।

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