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मंगलवार, 20 अगस्त 2019

व्यवस्था के युग में कार्य



वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया। इस्राएल वह जगह है जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की, और उस जगह की धूल से यहोवा ने मनुष्य को बनाया; यह स्थान पृथ्वी पर उसके कार्य का आधार बन गया। इस्राएली, जो नूह के वंशज थे, और आदम के भी वंशज थे, पृथ्वी पर यहोवा के कार्य की मानवीय बुनियाद थे।

मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "दुष्ट को दण्ड अवश्य दिया जाना चाहिए"



इस बात का निरीक्षण करना कि क्या तुम जो कुछ भी करते हो उसमें धार्मिकता का अभ्यास करते हो, और क्या तुम्हारी समस्त क्रियाओं की परमेश्वर द्वारा निगरानी की जाती है, ये परमेश्वर में विश्वास करनेवालों के स्वभावजन्य सिद्धांत हैं। तुम लोग धर्मी कहलाओगे क्योंकि तुम लोग परमेश्वर को संतुष्ट करने में सक्षम हो, और क्योंकि तुम लोग परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा को स्वीकार करते हो। परमेश्वर की नज़र में, वे सब जो परमेश्वर की देखभाल, सुरक्षा और पूर्णता को स्वीकार करते हैं और जो उसके द्वारा प्राप्त कर लिए जाते हैं, वे धर्मी हैं और परमेश्वर द्वारा प्यार से देखे जाते हैं। तुम लोग अभी इसी समय परमेश्वर के वचनों को जितना अधिक स्वीकार करते हो, उतना ही अधिक तुम परमेश्वर की इच्छा को प्राप्त करने और समझने में सक्षम हो जाते हो, और इस प्रकार तुम उतना ही अधिक परमेश्वर के वचनों को जी सकते हो और उसकी अपेक्षाओं को संतुष्ट कर सकते हो।

रविवार, 7 अप्रैल 2019

7. आपदाओं के बीच मैंने परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव देखा

ली जिंग, बीजिंग
7 अगस्त, 2017
उस दिन, सुबह से बारिश होना शुरू हो गई थी। मैं एक भाई के घर में सभा में गई थी, इसी दौरान बारिश अधिक से अधिक तेज होती जा रही थी। दोपहर तक यह ऐसे बरसने लगी जैसे सीधे स्वर्ग से ही गिर रही हो। हमारी सभा के खत्म होने के समय तक, बारिश का पानी मेरे भाई के बरामदे में घुस गया था, लेकिन चूंकि मैं अपने परिवार के लिए चिंतित थी, इसलिए मैं अपने घर की ओर जाने के लिए संघर्ष करने लगी। आधे रास्ते तक पहुंचने पर, कुछ लोग खतरे से निकलकर भागते हुए मेरे पास आए और कहा, "क्या तुम भाग नहीं रही हो, क्या तुम अब भी घर जा रही हो?" जब मैं घर पहुंची, तो मेरे बच्चे ने मुझसे कहा, "क्या बाढ़ आपको बहा नहीं ले गई?" तब ही मुझे पता चला कि मेरे दिल में परमेश्व नहीं था।

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

98. एक अच्छे गंतव्य के लिए विश्वासियों को इतने अधिक नेक काम क्यों करने पड़ते हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"क्योंकि यह उस मनुष्य की सी दशा है जिसने परदेश जाते समय अपने दासों को बुलाकर अपनी संपत्ति उनको सौंप दी। उसने एक को पाँच तोड़े, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्थात् हर एक को उसकी सामर्थ्य के अनुसार दिया, और तब परदेश चला गया। तब, जिसको पाँच तोड़े मिले थे, उसने तुरन्त जाकर उनसे लेन-देन किया, और पाँच तोड़े और कमाए। इसी रीति से जिसको दो मिले थे, उसने भी दो और कमाए। परन्तु जिसको एक मिला था, उसने जाकर मिट्टी खोदी, और अपने स्वामी के रुपये छिपा दिए। बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्वामी आकर उनसे लेखा लेने लगा।

शनिवार, 16 मार्च 2019

74. अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य आत्मा के माध्यम से क्यों नहीं किया जाता है? परमेश्वर अपना कार्य करने के लिए देह में क्यों आ गया है?

उत्तर परमेश्वर के वचन से:
परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को सीधे तौर पर पवित्रात्मा के साधनों के माध्यम से या आत्मा के रूप में बचाया नहीं जाता है, क्योंकि उसके आत्मा को मनुष्य के द्वारा न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है, और मनुष्य के द्वारा उस तक पहुँचा नहीं जा सकता है। यदि उसने आत्मा के तरीके से सीधे तौर पर मनुष्य को बचाने का प्रयास किया होता, तो मनुष्य उसके उद्धार को प्राप्त करने में असमर्थ होता। और यदि परमेश्वर सृजित मनुष्य का बाहरी रूप धारण नहीं करता, तो वे इस उद्धार को पाने में असमर्थ होते।

सोमवार, 11 मार्च 2019

69. मनुष्य के सामने प्रकट होकर अपना कार्य करने के लिए अंत के दिनों में प्रभु की वापसी आध्यात्मिक शरीर में क्यों नहीं हुई?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
अंतिम दिनों का परमेश्वर मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए मुख्यतः वचनों का उपयोग करता है। वह मनुष्यों का दमन करने, या उन्हें मनाने के लिये संकेतों और चमत्कारों का उपयोग नहीं करता है; इससे परमेश्वर की सामर्थ्य को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। यदि परमेश्वर केवल संकेतों और चमत्कारों को दिखाता, तो परमेश्वर की वास्तविकता को प्रकट करना लगभग असंभव होता, और इस तरह मनुष्य को पूर्ण बनाना भी असंभव हो जाता। परमेश्वर संकेतों और चमत्कारों के द्वारा मनुष्य को पूर्ण नहीं बनाता है किन्तु वचन का उपयोग मनुष्यों को सींचने और उनकी चरवाही करने के लिए करता है, जिसके बाद मनुष्य की पूर्ण आज्ञाकारिता प्राप्त होती है और मनुष्य का परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त होता है।

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

प्रश्न 23: तुम यह प्रमाण देते हो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है, जो अभी अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को कर रहा है। लेकिन धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का कहना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य वास्तव में मनुष्य का काम है, और बहुत से लोग जो प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करते, वे कहते हैं कि ईसाई धर्म एक मनुष्य में विश्वास है। हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच में क्या अंतर है, इसलिए कृपया हमारे लिए यह सहभागिता करो।

प्रश्न 23: तुम यह प्रमाण देते हो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है, जो अभी अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को कर रहा है। लेकिन धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का कहना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य वास्तव में मनुष्य का काम है, और बहुत से लोग जो प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करते, वे कहते हैं कि ईसाई धर्म एक मनुष्य में विश्वास है। हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच में क्या अंतर है, इसलिए कृपया हमारे लिए यह सहभागिता करो।

उत्तर:
परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य निश्चित रूप से अलग हैं। अगर हम सावधानी से जांच करें तो हम लोग इसे देख पाएंगे। मिसाल के तौर पर, अगर हम प्रभु यीशु के कथन और कार्य को देखें और फिर प्रेरितों के कथन और कार्य पर नज़र डालें, हम कह सकते हैं कि अंतर एकदम स्पष्ट है। प्रभु यीशु का कहा हर वचन सत्य है और उसमें अधिकार है, और ये बहुत से रहस्य प्रकट कर सकता है। इन्हें इंसान कभी नहीं कर सकता। यही वजह है कि बहुत से लोग प्रभु यीशु का अनुसरण करते हैं, जबकि प्रेरितों का कार्य सिर्फ सुसमाचार को प्रसारित सकता है, परमेश्वर की गवाही दे सकता है और कलीसिया को आपूर्ति कर सकता है। परिणाम बहुत सीमित होते हैं।

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