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शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

वह मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर के प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है जिसने उसे अपनी ही धारणाओं में परिभाषित किया है?



परमेश्वर का कार्य निरंतर आगे बढ़ता रहता है, और यद्यपि उसके कार्य का प्रयोजन नहीं बदलता है, जिस मायनों वह कार्य करता है वे निरंतर बदलते रहते हैं, और फलस्वरूप वे लोग भी बदलते रहते हैं जो उसका अनुसरण करते हैं। जितना अधिक परमेश्वर का कार्य होगा, उतना ही अधिक मनुष्य परमेश्वर को जानेगा, और मनुष्य का स्वभाव भी परमेश्वर के कार्य के साथ बदलेगा। हालाँकि, ऐसा इसलिए है कि परमेश्वर का कार्य हमेशा बदलता रहता है कि जो लोग पवित्र आत्मा के कार्य के बारे में नहीं जानते हैं और सत्य को न जानने वाले विवेकहीन लोग परमेश्वर के विरोधी बन जाते हैं।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना भाग एक



मनुष्य आज के कार्य एवं भविष्य के कार्य के विषय में थोड़ा बहुत ही जानता है, परन्तु वह उस मंज़िल को नहीं समझता जिसमें मानवजाति प्रवेश करेगी। एक प्राणी होने के नाते, मनुष्य को एक प्राणी के कर्तव्य को निभाना चाहिएः जो कुछ परमेश्वर करता है उसमें उसे उसका अनुसरण करना चाहिए, और जो भी तरीका मैं आप लोगों को बताता हूँ उसमें आप सब को आगे बढ़ना चाहिए। आपके पास स्वयं के लिए इंतज़ाम करने का कोई तरीका नहीं है, और आप स्वयं का नियन्त्रण करने में असमर्थ हैं; सब कुछ परमेश्वर की दया पर छोड़ दिया जाना चाहिए, और हर एक चीज़ उसके हाथों के द्वारा नियन्त्रित होती है।

बुधवार, 26 जून 2019

परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम भाग दो



पवित्र आत्मा का कार्य कुल मिलाकर लोगों को इस योग्य बनाना है कि वे लाभ प्राप्त कर सकें; यह कुल मिलाकर लोगों की उन्नति के विषय में है; ऐसा कोई कार्य नहीं है जो लोगों को लाभान्वित न करता हो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्य गहरा है या उथला, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन लोगों की क्षमता किसके समान है जो सत्य को स्वीकार करते हैं, जो कुछ भी पवित्र आत्मा करता है, यह सब लोगों के लिए लाभदायक है। परन्तु पवित्र आत्मा का कार्य सीधे तौर पर नहीं किया जाता है; इसे उन मनुष्यों से होकर गुज़रना होगा जो उसके साथ सहयोग करते हैं। यह केवल इसी रीति से होता है जिससे पवित्र आत्मा के कार्य के परिणामों को प्राप्त किया जा सकता है। हाँ वास्तव में, जब यह पवित्र आत्मा का प्रत्यक्ष कार्य है, तो इसमें मिलावट बिलकुल भी नहीं की जाती है; परन्तु जब यह मनुष्य के माध्यम का उपयोग करता है, तो यह अत्यंत मिश्रित हो जाता है और यह पवित्र आत्मा का मूल कार्य नहीं है।

शुक्रवार, 14 जून 2019

Hindi Christian Movie "बच्चे, घर लौट आओ" क्लिप 1 - युवा गेमिंग व्यसनियों से उनका व्यसन छुड़ाने का एक तरीका है

Hindi Christian Movie "बच्चे, घर लौट आओ" क्लिप 1 - युवा गेमिंग व्यसनियों से उनका व्यसन छुड़ाने का एक तरीका है


आधुनिक समाज में ऐसे कई नौजवान हैं जो ऑनलाइन गेमिंग से सम्मोहित हैं और उससे ख़ुद को मुक्त नहीं करा पा रहे हैं। इससे उनकी सेहत और पढ़ाई दोनों पर बहुत गंभीर असर पड़ता है। अपने बच्चो से इंटरनेट छुड़ाने के लिए माता-पिता चाहे कोई भी उपाय क्यों न करें, इसका कोई फायदा नहीं होता है, और बच्चों से उनका गेम खेलने का व्यसन कैसे छुड़ाया जाए यह कई परिवारों के लिए सबसे बड़ा सरदर्द बन गया है।यह मूवी क्लिप, युवा गेमिंग व्यसनियों से उनका व्यसन छुड़ाने का एक तरीका है, में हमारे लिए इस विषय पर रोशनी डाली जाएगी।

मंगलवार, 11 जून 2019

"कार्य और प्रवेश" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक



1. जब से लोगों ने जीवन के सही मार्ग पर चलना शुरू किया, ऐसी कई चीजें हैं जिनके बारे में वे अस्पष्ट रहेहैं। वे परमेश्वर के कार्य के विषय में तथा उन्हें कितना कार्य करना चाहिए,इस विषय में पूर्ण रीति से भ्रम में हैं। एक ओर, यह उनके अनुभव की कमी के कारण और उनकी ग्रहण करने की क्षमता सीमित होने के कारण है; दूसरी ओर, यह इसलिए है कि परमेश्वर के कार्य ने लोगों को अभी तक इस अवस्था में नहीं पहुँचाया है। इसलिए, हर कोई अधिकांश आत्मिक विषयों के बारे में अस्पष्ट है। न केवल तुम लोग इस बारे में अस्पष्ट हो कि तुम्हें किस में प्रवेश करना चाहिए; बल्कि तुम लोग परमेश्वर के कार्य के बारे में भी अनजान हो। यह तुम्हारे भीतर केवल कमियों की बात नहीं है: यह उन सभी का बहुत बड़ा दोष है जो धार्मिक जगत से संबंध रखते हैं। इसका रहस्य यहाँ छिपा हुआ है कि क्यों लोग परमेश्वर को नहीं जानते, और इसलिए यह दोष उन सभी में आम कमी है जो परमेश्वर को खोजते हैं।

शनिवार, 29 दिसंबर 2018

28. पवित्र आत्मा के कार्य और बुरी आत्माओं के काम के बीच क्या अंतर है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि यह पवित्र आत्मा का कार्य है, तो मनुष्य हमेशा से अधिक सामान्य बन जाता है, और उसकी मानवता हमेशा से अधिक सामान्य बन जाती है। मनुष्य को अपने स्वभाव का, जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है और मनुष्य के सार का बढ़ता हुआ ज्ञान होता है, और उसकी सत्य के लिए हमेशा से अधिक ललक होती है। अर्थात्, मनुष्य का जीवन अधिकाधिक बढ़ता जाता है और मनुष्य का भ्रष्ट स्वभाव अधिकाधिक बदलावों में सक्षम हो जाता है - जिस सब का अर्थ है परमेश्वर का मनुष्य का जीवन बनना।

रविवार, 25 नवंबर 2018

प्रश्न 35: धार्मिक दुनिया के अधिकांश लोग मानते हैं कि पादरियों और प्राचीन लोगों को परमेश्वर के द्वारा चुना और प्रतिष्ठित किया गया है, और यह कि वे सभी धार्मिक कलीसियाओं में परमेश्वर की सेवा करते हैं; अगर हम पादरियों और प्राचीन लोगों का अनुसरण और आज्ञा-पालन करते हैं, तो हम वास्तव में परमेश्वर का ही अनुसरण और आज्ञा-पालन करते हैं। यथार्थतः मनुष्य का अनुसरण और आज्ञा-पालन करने का क्या मतलब है, और वास्तव में परमेश्वर का अनुसरण और आज्ञा-पालन करने का क्या अर्थ है, ज्यादातर लोग सच्चाई के इस पहलू को नहीं समझते हैं, तो कृपया हमारे लिए यह सहभागिता करो।

उत्तर:
धर्म में, कुछ लोग सोचते हैं कि सभी धार्मिक पादरी और एल्डर्स प्रभु द्वारा चुने और प्रतिष्ठित किये जाते है। इसलिए लोगों को उनका आज्ञापालन करना चाहिए। क्या इस तरह की धारणा का बाइबल में कोई आधार है? क्या प्रभु के वचन में इसका कोई प्रमाण है? क्या इसमें पवित्र आत्मा की गवाही और पवित्र आत्मा के कार्य की स्वीकृति है? अगर सारे जवाब 'नहीं' हैं, तो क्या बहुमत का यह विश्वास कि सभी पादरी और एल्डर्स प्रभु द्वारा चुने और प्रतिष्ठित किए जाते हैं, लोगों की अवधारणाओं और कल्पनाओं से नहीं आया है? आइए इस बारे में विचार करें।

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