उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु विशुद्ध रूप से उसकी प्रशंसा के लिए वह उसका अनुसरण करने का इच्छुक था। जब यीशु ने गलील के तट पर उसे पहली बार बुलाया, तो उसने पूछाः "शमौन, योना के पुत्र, क्या तू मेरा अनुसरण करेगा?" पतरस ने कहा: "मुझे उसका अवश्य अनुसरण करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है। मुझे उसे अवश्य अभिस्वीकृत करना चाहिए जो पवित्र आत्मा के द्वारा चुना जाता है।
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शुक्रवार, 26 जुलाई 2019
गुरुवार, 18 जुलाई 2019
पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान भाग दो
वे अवस्थाएँ ऐसी ही हैं जिन्हें मनुष्य को सिद्ध किए जाने के बाद हासिल करना होगा। यदि तू इतना कुछ हासिल नहीं कर सकता है, तो तू एक सार्थक जीवन नहीं बिता सकता है। मनुष्य शरीर में रहता है, इसका मतलब है कि वह मानवीय नरक में रहता है, और परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना के बगैर, मनुष्य शैतान के समान ही गन्दा है। मनुष्य पवित्र कैसे हो सकता है? पतरस ने यह विश्वास किया कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य की सब से बड़ी सुरक्षा और सब से महान अनुग्रह है। केवल परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के द्वारा ही मनुष्य जागृत हो सकता है, और शरीर और शैतान से बैर कर सकता है। परमेश्वर का कठोर अनुशासन मनुष्य को शैतान के प्रभाव से मुक्त करता है, वह उसे उसके छोटे संसार से आज़ाद करता है, और उसे परमेश्वर की उपस्थिति के प्रकाश में जीवन बिताने देता है।
बुधवार, 17 जुलाई 2019
पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान भाग एक
जब उसे परमेश्वर के द्वारा ताड़ना दिया जा रहा था, पतरस ने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! मेरी देह अनाज्ञाकारी है, और तू मुझे ताड़ना देता है और मेरा न्याय करता है। मैं तेरी ताड़ना और न्याय में आनन्दित होता हूँ, और भले ही तू मुझे न चाहें, फिर भी मैं तेरे न्याय में तेरे पवित्र और धर्मी स्वभाव को देखता हूँ। जब तू मेरा न्याय करता है, ताकि अन्य लोग तेरे न्याय में तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, तो मैं संतुष्टि का एहसास करता हूँ। भले ही यह तेरे स्वभाव को प्रकट कर सकता है, और सभी प्राणियों के द्वारा तेरे धर्मी स्वभाव को देखने देता है, और यदि यह मेरे प्रेम को तेरे प्रति अधिक शुद्ध कर सकता है, ताकि मैं उसके स्वरूप को प्राप्त कर सकूँ जो धर्मी है, तो तेरा न्याय अच्छा है, क्योंकि तेरी अनुग्रहकारी इच्छा ऐसी ही है।
मंगलवार, 16 जुलाई 2019
सफलता या असफलता उस पथ पर निर्भर होती है जिस पर मनुष्य चलता है भाग दो
पौलुस के द्वारा किए गए कार्य को मनुष्य के सामने प्रदर्शित किया गया था, किन्तु परमेश्वर के लिए उसका प्रेम कितना शुद्ध था, उसके हृदय की गहराई में परमेश्वर के लिए उसका प्रेम कितना अधिक था—इन्हें मनुष्य के द्वारा देखा नहीं जा सकता है। मनुष्य केवल उस कार्य को देख सकता है जिसे उसने किया था, जिससे मनुष्य जान जाता है उसे निश्चित रूप से पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किया गया था, और इस प्रकार मनुष्य सोचता है कि पौलुस पतरस की अपेक्षा बेहतर था, यह कि उसका कार्य अधिक बड़ा था, क्योंकि वह कलीसियाओं की आपूर्ति करने में सक्षम था। पतरस ने केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों को ही देखा था, और अपने कभी कभार के कार्य के दौरान सिर्फ थोड़े से ही लोगों को अर्जित किया था।
सोमवार, 15 जुलाई 2019
सफलता या असफलता उस पथ पर निर्भर होती है जिस पर मनुष्य चलता है भाग एक
अधिकांश लोग अपनी भविष्य की नियति के लिए, या अल्पकालिक आनन्द के लिए परमेश्वर में विश्वास करते हैं। क्योंकि ऐसे लोग जो किसी व्यवहार से होकर नहीं गुज़रे हैं, परमेश्वर में उनका विश्वास स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए, एवं प्रतिफल अर्जित करने के लिए होता है। यह सिद्ध किए जाने के लिए, या परमेश्वर के किसी प्राणी के कर्तव्य को निभाने के लिए नहीं होता है। कहने का तात्पर्य है कि अधिकांश लोग अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए, या अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए परमेश्वर में विश्वास नहीं करते हैं। अर्थपूर्ण ज़िन्दगियों को जीने के लिए बिरले ही लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, और न ही ऐसे लोग हैं जो विश्वास करते हैं कि जबसे मनुष्य जीवित है, उन्हें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए क्योंकि यह स्वर्ग की व्यवस्था है और पृथ्वी का सिद्धान्त है कि ऐसा करें, और यह मनुष्य का स्वाभाविक पेशा है।
मंगलवार, 25 जून 2019
परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम भाग एक
मनुष्य के काम में कितना कार्य पवित्र आत्मा का कार्य है और कितना मनुष्य का अनुभव है? यहाँ तक कि अब भी, ऐसा कहा जा सकता है कि लोग अब तक इन प्रश्नों को नहीं समझते हैं, यह सब इसलिए है क्योंकि लोग पवित्र आत्मा के कार्य करने के सिद्धान्तों को नहीं समझते हैं। मनुष्य का काम जिसके बारे में मैं बात कर रहा हूँ वह वास्तव उन लोगों के कार्य की ओर संकेत कर रहा है जिनके पास पवित्र आत्मा का कार्य है या ऐसे लोग जिन्हें पवित्र आत्मा के द्वारा उपयोग किया जाता है। मैं उस कार्य की ओर संकेत नहीं कर रहा हूँ जो मनुष्य की इच्छा से उत्पन्न होता है किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य के दायरे के भीतर प्रेरितों, कार्यकर्ताओं या सामान्य भाईयों एवं बहनों के कामों की ओर संकेत कर रहा हूँ।
गुरुवार, 23 मई 2019
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "पतरस ने यीशु को कैसे जाना"
उस समय के दौरान जो पतरस ने यीशु के साथ बिताया, उसने यीशु में अनेक प्यारे अभिलक्षणों, अनेक अनुकरणीय पहलुओं, और अनेक ऐसी चीजों को देखा जिन्होंने उसे आपूर्ति की। यद्यपि पतरस ने कई तरीकों से यीशु में परमेश्वर के अस्तित्व को देखा, और कई प्यारे गुण देखे, किन्तु पहले वह यीशु को नहीं जानता था। पतरस जब 20 वर्ष का था तब उसने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, और छः वर्ष तक वह ऐसा करता रहा। उस समय के दौरान, उसे यीशु के बारे में कभी भी पता नहीं चला, किन्तु विशुद्ध रूप से उसकी प्रशंसा के लिए वह उसका अनुसरण करने का इच्छुक था। जब यीशु ने गलील के तट पर उसे पहली बार बुलाया, तो उसने पूछाः "शमौन, योना के पुत्र, क्या तू मेरा अनुसरण करेगा?" पतरस ने कहा: "मुझे उसका अवश्य अनुसरण करना चाहिए जिसे स्वर्गिक पिता द्वारा भेजा जाता है।
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