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मंगलवार, 14 मई 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है"



मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है। यदि हमारे मन और शरीर परमेश्वर के आदेश के लिए नहीं हैं और मानवजाति के धर्मी कार्य के लिए नहीं हैं, तो हमारी आत्माएँ उन लोगों के योग्य नहीं हैं जो परमेश्वर के आदेश के लिए शहीद हुए हैं, परमेश्वर के लिए तो और भी अधिक अयोग्य हैं, जिसने हमें सब कुछ प्रदान किया है।

शनिवार, 23 मार्च 2019

81. हम सभी पाप करने और स्वीकार कर लेने के चक्र में फंसे हुए जी रहे हैं और इससे छूटने का कोई रास्ता नहीं है; क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वाकई मानवजाति को बदल कर शुद्ध कर सकते हैं?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
यद्यपि "वचन" शब्द सरल और साधारण है, देहधारी परमेश्वर के मुख से निकला वचन संपूर्ण ब्रह्माण्ड को कंपाता है; और उसका वचन मनुष्य के हृदय को रूपांतरित करता है, मनुष्य के सभी विचारों और पुराने स्वभाव, और समस्त संसार के पुराने स्वरूप में परिवर्तन लाता है। युगों-युगों से केवल आज के दिन का परमेश्वर ही इस प्रकार से कार्य करता है, और केवल वही इस प्रकार से बोलता और मनुष्य का उद्धार करता है। इसके बाद मनुष्य वचन के मार्गदर्शन में, उसकी चरवाही में, और उससे प्राप्त आपूर्ति में जीवन जीता है।

शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

57. परमेश्वर के कार्य और बाइबल के बीच वास्तव में क्या संबंध है? परमेश्वर का कार्य पहले आया या कि बाइबल पहले आयी?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख, और परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ नहीं देता है। जिस किसी ने भी बाइबल को पढ़ा है वह जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को प्रलेखित करता है। पुराना विधान इस्राएल के इतिहास और सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के अंत तक यहोवा के कार्य का कालक्रम से अभिलेखन करता है।

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

11. मुझे यकीन है कि परमेश्वर होते हैं, लेकिन मेरी उम्र कम है और मुझे ज़िंदगी में अभी बहुत-कुछ करना है। यदि मैं उनमें विश्वास करने के लिए कम व्यस्त होने तक प्रतीक्षा करूं, तो क्या तब भी मैं उद्धार पा सकूंगा?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मनुष्य के जीवन में थोड़ा-सा भी उत्साह नहीं है, और उसमें कोई मानवीय स्वाद या चमक नहीं है—फिर भी उसने हमेशा अपने आप को उसमें तपाया है, और अपना सम्पूर्ण जीवनकाल बिना महत्व के बिताया है जिस में वह बिना कुछ हासिल किए यहाँ से वहाँ भागता फिरता है। आँखों के पलक झपकाते ही, मृत्यु का दिन नज़दीक आ जाता है, और मनुष्य एक कड़वी मौत मरता है। इस संसार में, उसने कुछ भी पूर्ण नहीं किया, या कुछ भी हासिल नहीं किया है—वह जल्दी जल्दी आता है और जल्दी जल्दी चला जाता है। मेरी नज़रों में उन में से कोई कभी कुछ भी लेकर नहीं आया है या कुछ लेकर नहीं गया, और इस प्रकार मनुष्य सोचता है कि यह संसार अन्यायी है।

बुधवार, 23 जनवरी 2019

10. कुछ लोग कहते हैं कि परमेश्वर हैं ही नहीं; यह दृष्टिकोण गलत कैसे है? हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि परमेश्वर का अस्तित्व है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है? यह संसार किसके आदेश पर चलता है? मानवजाति को किसने रचा है? क्या वास्तव में मानवजाति प्रकृति के द्वारा ही रची गई है? क्या मानवजाति वास्तव में स्वयं के भाग्य के नियंत्रण में है? …मनुष्य नहीं जानता कि ब्रह्मांड की सत्ता किसके पास है, मानवजाति की उत्पत्ति और भविष्य तो वह बिल्कुल नहीं जानता।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

1. मानवजाति को परमेश्वर में क्यों विश्वास करना चाहिए?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर ने सभी चीज़ों की सृष्टि की थी, और इस प्रकार वह समूची सृष्टि को अपने प्रभुत्व के अधीन लाता है, और अपने प्रभुत्व के प्रति समर्पित करवाता है; वह सभी चीज़ों को आदेश देगा, ताकि सभी चीज़ें उसके हाथों में हों। परमेश्वर की सारी सृष्टि, जिसमें जानवर, पेड़-पौधे, मानवजाति, पहाड़ एवं नदियां, और झीलें शामिल हैं—सभी को उसके प्रभुत्व के अधीन आना होगा। आकाश एवं धरती पर की सभी चीज़ों को उसके प्रभुत्व के अधीन आना होगा। उनके पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है, और उन सब को उसी के आयोजनों के अधीन होना होगा। इसकी आज्ञा परमेश्वर के द्वारा दी गई थी, और यह परमेश्वर का अधिकार है।

रविवार, 30 दिसंबर 2018

29. दुष्टात्माओं के कब्ज़े में आ जाना क्या है? दुष्टात्माओं के कब्ज़े में आ जाना कैसे प्रकट होता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मुझे बताओ, क्या तुम जानते हो तुम सब किस आत्मा के हो? क्या तुम अपनी आत्मा को महसूस करने के योग्य हो? क्या तुम अपनी आत्मा को छूने के योग्य हो? क्या तुम सब यह जानने के योग्य हो कि तुम सब की आत्मा क्या कर रही है? तुम सब नहीं जानते हो, है ना? यदि तुम ऐसी बातों को महसूस करने और समझने के योग्य हो, तो यह तुम्हारे भीतर एक अन्य आत्मा बलपूर्वक कुछ करवा रहा है-तुम्हारे कार्यों और शब्दों को नियन्त्रित कर रहा है। तुम में यह कुछ बाहर का है-यह तुम्हारा नहीं है। वे लोग जिनमें दुष्टतात्मा होती है, उन्हें इसका बहुत अनुभव होता है।

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

2. यह क्यों कहा गया है कि "त्रिविध परमेश्वर" सबसे बेतुकी बात है?

2. यह क्यों कहा गया है कि "त्रिविध परमेश्वर" सबसे बेतुकी बात है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यीशु के देहधारी होने के सत्य के विकसित होने के बाद ही मनुष्य इस बात को महसूस कर पाया: यह न केवल स्वर्ग का परमेश्वर है, बल्कि यह पुत्र भी है, और यहां तक कि वह आत्मा भी है। यह पारम्परिक धारणा है जिसे मनुष्य धारण किए हुए है, कि एक ऐसा परमेश्वर है जो स्वर्ग में हैः एक त्रित्व जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा है, और ये सभी एक में हैं।

सोमवार, 7 मई 2018

New Hindi Christian Song 2018 | सभी प्राणियों का जीवन आता है परमेश्वर से

New Hindi Christian Song 2018 | सभी प्राणियों का जीवन आता है परमेश्वर से

प्रभु से जो जीवन मिला है इंसान को, अनंत है, देह के बंधन से, समय और स्थान से आज़ाद है। ये ज़िंदगी का राज़ है, सबूत है कि ज़िंदगी परमेश्वर का तोहफ़ा है। बहुत से लोग मानते नहीं, जीवन का स्रोत परमेश्वर है, मगर वो भोगते हैं सबकुछ जो आता है परमेश्वर की ओर से। अगर मन बदल जाए परमेश्वर का, और ले ले वापस दुनिया और ज़िंदगी अपनी, फिर ना ये दुनिया रहेगी, ना ये प्राणी रहेंगे, ना ये रचना रहेगी, सब चले जाएंगे सदा के लिये, सदा के लिये।

Hindi Christian Movie | अग्नि द्वारा बप्तिस्मा | Can We Enter the Kingdom of Heaven by Hard Work?

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