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शुक्रवार, 17 मई 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या आप जाग उठे हैं?"



जब आप सामान्य मनुष्यत्व से बाहर निकलकर जीवन व्यतित करना प्राप्त कर लेते हैं, और पूर्ण कर दिए गए हैं, तो हालांकि आप भविष्यवाणी करने, या कोई रहस्य बताने में असमर्थ होंगे, आप एक मनुष्य के स्वरूप को प्रगट करेंगे और जीवन व्यतित करेंगे। परमेश्वर ने मनुष्य की रचना की, जिसके बाद मनुष्य शैतान द्वारा भ्रष्ट किया गया, और इस भ्रष्टाचार ने मनुष्यों को मृत देह बना दिया - और परिणामस्वरूप आपके बदलने के बाद, आप इन मृत देहों से भिन्न हो जाएंगे। वह परमेश्वर के वचन हैं जो लोगों की आत्मा को जीवन देते हैं और उन्हें नया जन्म देते हैं, और जब लोगों की आत्माएं नया जन्म लेंगी वे जाग उठेंगे। 'मृतक' का उल्लेख यहां शव की ओर इशारा करता है जिसमें आत्मा नहीं होती है, तथा उन लोगों की ओर जिनकी आत्मा मर चुकी है। जब लोगों की आत्मा को जीवन दिया जाता है तो वे जीवित हो जाते हैं।

बुधवार, 13 मार्च 2019

71. देहधारी रूप में प्रकट होने में, परमेश्वर एक महाकाय या रोबदार रूप में प्रकट क्यों नहीं हुए?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
वह मात्र शरीर में काम कर रहा है, जानबूझ कर मनुष्य से यह नहीं कह रहा है कि वे उसकी देह की महानता या पवित्रता को बड़ा ठहराएँ। वह मात्र मनुष्यों को अपने कार्य की बुद्धिमत्ता और वह समस्त अधिकार दिखा रहा है जिसे वह उपयोग करता है। इसलिए, भले ही उसके पास उत्कृष्ट मानवता है, फिर भी वह कोई घोषणा नहीं करता है, और केवल उस कार्य पर ध्यान केन्द्रित करता है जो उसे करना चाहिए। तुम लोगों को जानना चाहिए कि ऐसा क्यों है कि परमेश्वर देह बनता है फिर भी उसकी शेखी नहीं बघारता है या अपनी सामान्य मानवता के प्रति गवाही नहीं देता है, और इसके बजाय मात्र उस कार्य को सम्पन्न करता है जिसे करने की उसकी इच्छा है।

शुक्रवार, 1 मार्च 2019

54. बहुत-से लोग यह मानते हैं कि मनुष्य द्वारा लिखे जाने के बावजूद बाइबल के सभी वचन पवित्र आत्मा से आये हैं और वे परमेश्वर के वचन हैं। क्या यह सही है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
आज, लोग यह विश्वास करते हैं कि बाइबल परमेश्वर है, और परमेश्वर बाइबल है। इस प्रकार वे यह भी विश्वास करते हैं कि बाइबल के सारे वचन सिर्फ वे वचन हैं जिन्हें परमेश्वर ने कहा था, और उन सभी को परमेश्वर के द्वारा बोला गया था। वे जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं वे यह भी मानते हैं कि यद्यपि पुराने और नए नियम की छियासठ पुस्तकों को लोगों के द्वारा लिखा गया था, फिर भी उन सभी को परमेश्वर की अभिप्रेरणा के द्वारा दिया गया था, और वे पवित्र आत्मा के कथनों के लिखित दस्तावेज़ हैं। यह लोगों का त्रुटिपूर्ण अनुवाद है, और यह तथ्यों से पूरी तरह मेल नहीं खाता है। वास्तव में, भविष्यवाणियों की पुस्तकों को छोड़कर, पुराने नियम का अधिकांश भाग ऐतिहासिक अभिलेख है।

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

58. प्रभु यीशु के लौट आने के अपने अध्ययन में कुछ लोग केवल बाइबल की भविष्यवाणियों को आधार बनाते हैं, लेकिन वे परमेश्वर की वाणी को सुनने की कोशिश नहीं करते। इस चलन के साथ क्या समस्या है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
सबसे पहले, चलो हम प्रत्येक वक्तव्य को सत्यापित नहीं करते हैं। इसके बजाय, चलो हम देखते हैं कि पवित्र आत्मा कैसे कार्य करता है। चलो हम यह देखने के लिए सच्चाई के साथ तुलना करते हैं कि हम जिस मार्ग पर चलते हैं वह पवित्र आत्मा के कार्य के अनुरूप है या नहीं, और यह जाँचने के लिए कि क्या यह मार्ग सही है पवित्र आत्मा के कार्य का उपयोग करते हैं। और जहाँ तक इस वक्तव्य या उस वक्तव्य के घटित होने की बात है, हम मनुष्यों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके बजाय हमारे लिए यह बेहतर है कि हम पवित्र आत्मा के कार्य और उस नवीनतम कार्य के बारे में बात करें जिसे परमेश्वर अब कर रहा है।

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

52. आपने कहा है कि परमेश्वर आ चुके हैं, लेकिन हम इसमें यकीन करने की हिम्मत नहीं करते क्योंकि बाइबल कहती है, "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। हम वास्तव में सच्चे मसीह को झूठे मसीहों से अलग कैसे पहचानें?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
ऐसी बात का अध्ययन करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है: जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर का सार धारण करेगा, और जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर की अभिव्यक्ति धारण करेगा। चूँकि परमेश्वर देहधारी हुआ, वह उस कार्य को प्रकट करेगा जो उसे अवश्य करना चाहिए, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया, तो वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है, और मनुष्यों के लिए सत्य को लाने में समर्थ होगा, मनुष्यों को जीवन प्रदान करने, और मनुष्य को मार्ग दिखाने में सक्षम होगा।

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

33. बाइबल में यह कहा गया है कि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों के बीच कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, एकमात्र उद्धारकर्ता यीशु मसीह हैं, कल भी वे ही थे, आज भी वे ही हैं, और सदा के लिए वे ही रहेंगे। लेकिन आज आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:12)।
परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर की बुद्धि, परमेश्वर की चमत्कारिकता, परमेश्वर की धार्मिकता, और परमेश्वर का प्रताप कभी नहीं बदलेंगे। उसका सार और उसका स्वरूप कभी नहीं बदलेगा। उसका कार्य, हालाँकि, हमेशा आगे प्रगति कर रहा है और हमेशा गहरा होता जा रहा है, क्योंकि वह हमेशा नया रहता है और कभी पुराना नहीं पड़ता है।

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

28. प्रभु यीशु ने अपना छुटकारे का कार्य अनुग्रह के युग में पूरा किया और अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना न्याय का कार्य करते हैं। हम यह कैसे पहचान सकते हैं कि अंत के दिनों का न्याय का कार्य और अनुग्रह के युग का छुटकारे का कार्य एक ही परमेश्वर के हैं?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के बीच में अपना कार्य करने के लिये देहधारी हो गया। उसका कार्य एकाकीपन में नहीं किया गया, बल्कि यहोवा के कार्य पर किया गया। यह नये युग के लिये एक कार्य था जब परमेश्वर ने व्यवस्था के युग का समापन कर दिया था। इसी प्रकार, यीशु का कार्य समाप्त हो जाने के बाद, परमेश्वर ने तब भी अगले युग के लिये अपने कार्य को जारी रखा, क्योंकि परमेश्वर का सम्पूर्ण प्रबंधन सदैव आगे बढ़ता है। जब पुराना युग बीत जाएगा, उसके स्थान पर नया युग आ जाएगा, और एक बार जब पुराना कार्य पूरा हो जाएगा, तो एक नया कार्य परमेश्वर के प्रबंधन को जारी रखेगा।

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

25. प्रभु में विश्वास करने के बाद हमारे पाप क्षमा कर दिये गये थे, लेकिन हम अब भी अक्सर पाप करते हैं; हम पापों के चंगुल से अंतत: कब छूट पायेंगे?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मनुष्य के पापों को देहधारी परमेश्वर के द्वारा क्षमा किया गया था, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मनुष्य के भीतर कोई पाप नहीं है। पाप बलि के माध्यम से मनुष्य के पापों को क्षमा किया जा सकता है, परन्तु मनुष्य इस मसले को हल करने में असमर्थ रहा है कि वह कैसे आगे और पाप नहीं कर सकता है और कैसे उसके पापी स्वभाव को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और उसे रूपान्तरित किया जा सकता है। परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने के कार्य की वजह से मनुष्य के पापों को क्षमा किया गया था, परन्तु मनुष्य पुराने, भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में जीवन बिताता रहा।

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

24. चूंकि प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक ही परमेश्वर हैं, तो क्या बचाये जाने के लिए केवल यीशु में विश्वास करना काफी नहीं है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मनुष्य के लिए, परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने ने परमेश्वर के देहधारण के कार्य को संपन्न किया, समस्त मानव जाति को छुटकारा दिलाया, और परमेश्वर को अधोलोक की चाबी ज़ब्त करने की अनुमति दी। हर कोई सोचता है कि परमेश्वर का कार्य पूरी तरह से निष्पादित हो चुका है। वास्तविकता में, परमेश्वर के लिए, उसके कार्य का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही निष्पादित हुआ है। उसने मानव जाति को केवल छुटकारा दिलाया है; उसने मानवजाति को जीता नहीं है, मनुष्य में शैतान की कुटिलता को बदलने की बात को तो छोड़ो।

रविवार, 27 जनवरी 2019

13. हम मानते हैं कि जब प्रभु लौटेंगे, तब पलक झपकते ही मनुष्य एक पवित्र शरीर में बदल जाएगा, तो फिर परमेश्वर का अंत के दिनों में न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करना क्यों ज़रूरी है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
युग का समापन करने के अपने अंतिम कार्य में, परमेश्वर का ताड़ना और न्याय का एक स्वभाव है, जो वह सब कुछ प्रकट करता है जो अधर्मी है, सार्वजनिक रूप से सभी लोगों का न्याय करता है, और उन लोगों को पूर्ण करता है, जो वास्तव में उससे प्यार करते हैं। केवल इस तरह का एक स्वभाव ही युग का समापन कर सकता है। अंत के दिन पहले ही आ चुके हैं।

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

32. बुद्धिमान कुंवारियों को क्या पुरस्कार दिया जाता है? क्या मूर्ख कुंवारियाँ विपत्ति में पड़ जाएँगी?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
"पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण" करने का मतलब है आज परमेश्वर की इच्छा को समझना, परमेश्वर की वर्तमान अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने में सक्षम होना, आज के परमेश्वर का अनुसरण और आज्ञापालन करने में सक्षम होना, और परमेश्वर के नवीनतम कथनों के अनुसार प्रवेश करना। केवल ऐसा व्यक्ति ही है जो पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करता है और पवित्र आत्मा की धारा में है। ऐसे लोग न केवल परमेश्वर की सराहना प्राप्त करने और परमेश्वर को देखने के लिए सक्षम हैं, बल्कि परमेश्वर के नवीनतम कार्य से परमेश्वर के स्वभाव को भी जान सकते हैं, और मनुष्य की अवधारणाओं और अवज्ञा को, मनुष्य के प्रकृति और सार को भी, परमेश्वर के नवीनतम कार्य से जान सकते हैं; इसके अलावा, वे अपनी सेवा के दौरान धीरे-धीरे अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल करने में सक्षम होते हैं।

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

17. एक झूठा मसीह क्या होता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि कोई मनुष्य अपने आप को परमेश्वर कहता हो मगर अपनी दिव्यता को व्यक्त करने में, परमेश्वर स्वयं का कार्य करने में, या परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हो, तो वह निसंदेह ही परमेश्वर नहीं है, क्योंकि उसमें परमेश्वर का सार नहीं है, और परमेश्वर जो अंतर्निहित रूप से प्राप्त कर सकता है वह उसके भीतर विद्यमान नहीं है।

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

2. परमेश्वर को लोगों का न्याय और उनकी ताड़ना क्यों करनी पड़ती है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था।

शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

प्रश्न 24: तुम यह प्रमाण देते हो कि प्रभु यीशु पहले से ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ चुका है, कि वह पूरी सच्चाई को अभिव्यक्त करता है जिससे कि लोग शुद्धिकरण प्राप्त कर सकें और बचाए जा सकें, और वर्तमान में वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को कर रहा है, लेकिन हम इसे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं करते। यह इसलिए है क्योंकि धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का हमें बहुधा यह निर्देश है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में अभिलेखित हैं और बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई और वचन या कार्य नहीं हो सकता है, और यह कि बाइबल के विरुद्ध या उससे परे जाने वाली हर बात विधर्म है। हम इस समस्या को समझ नहीं सकते हैं, तो तुम कृपया इसे हमें समझा दो।

प्रश्न 24: तुम यह प्रमाण देते हो कि प्रभु यीशु पहले से ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ चुका है, कि वह पूरी सच्चाई को अभिव्यक्त करता है जिससे कि लोग शुद्धिकरण प्राप्त कर सकें और बचाए जा सकें, और वर्तमान में वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को कर रहा है, लेकिन हम इसे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं करते। यह इसलिए है क्योंकि धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों का हमें बहुधा यह निर्देश है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में अभिलेखित हैं और बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई और वचन या कार्य नहीं हो सकता है, और यह कि बाइबल के विरुद्ध या उससे परे जाने वाली हर बात विधर्म है। हम इस समस्या को समझ नहीं सकते हैं, तो तुम कृपया इसे हमें समझा दो।

उत्तर:
धार्मिक समुदाय का इस प्रकार का दृष्टिकोण परमेश्वर के वचन पर आधारित नहीं है; यह बिलकुल बाइबल की गलत व्याख्या के परिणामस्वरूप ही अस्तित्व में आया था। बाइबल परमेश्वर के कार्य के पहले दो चरणों की गवाही देती है; यह सच है। हालांकि, बाइबल में जो आलेखित है, वह सीमित है, और इसमें परमेश्वर द्वारा अपने कार्य के दो चरणों में कहे गए सारे वचन और इस कार्य की सारी गवाहियां शामिल नहीं हैं। बाइबल के संकलनकर्ताओं के बीच चूक और वाद-विवादों के कारण, भविष्यवक्ताओं की कुछ भविष्यवाणियां, प्रेरितों के कुछ अनुभव और उनकी गवाहियां छोड़ दी गईं थीं; यह एक मान्यता-प्राप्त तथ्य है। तो यह कैसे कहा जा सकता है कि बाइबल के अलावा, परमेश्वर के कार्य के बारे में कोई भी अन्य आलेख या गवाही नहीं है? क्या उन ग़ैरहाज़िर भविष्यवाणियों और धर्म-पत्रों में मानवीय संकल्पों की मिलावट थी? प्रभु यीशु ने सिर्फ उन वचनों को ही नहीं कहा था जो नए नियम में लिखे गए हैं; उसके कुछ कथन और कार्य वहां नहीं लिखे गए थे।

शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

प्रश्न 14: हम पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करते हैं और हम प्रभु के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, सुसमाचार फैलाते हैं और प्रभु के लिए गवाही देते हैं, और पौलुस की तरह प्रभु की कलिसियाओं की चरवाही करते हैं: "मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्‍वास की रखवाली की है।" क्या यह परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करना नहीं है? इस तरह से अभ्यास करने का अर्थ यह होना चाहिए कि हम स्वर्गारोहित होने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य हैं, तो हमें स्वर्ग के राज्य में लाये जाने से पहले परमेश्वर के अंतिम दिनों के न्याय और शुद्धि के कार्य को क्यों स्वीकार करना चाहिए?

प्रश्न 14: हम पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करते हैं और हम प्रभु के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, सुसमाचार फैलाते हैं और प्रभु के लिए गवाही देते हैं, और पौलुस की तरह प्रभु की कलिसियाओं की चरवाही करते हैं: "मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्‍वास की रखवाली की है।" क्या यह परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करना नहीं है? इस तरह से अभ्यास करने का अर्थ यह होना चाहिए कि हम स्वर्गारोहित होने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य हैं, तो हमें स्वर्ग के राज्य में लाये जाने से पहले परमेश्वर के अंतिम दिनों के न्याय और शुद्धि के कार्य को क्यों स्वीकार करना चाहिए?

उत्तर:
आप सबका सवाल बड़ा अहम है। इसमें पूछा गया है कि क्या प्रभु में विश्वास करके किसी को स्वर्ग के राज्‍य तक पहुंचाया जा सकता है। प्रभु में विश्वास करने वाले बहुत से लोग समझते हैं कि प्रभु के लिए मेहनत और खर्च करने वाले पौलुस के मार्ग पर चलना प्रभु के मार्ग पर चलने जैसा ही है, जिससे प्रभु के लौटने पर वे स्वर्ग के राज्‍य में प्रवेश के लायक बन जाएंगे। बहुत से लोगों की यही सोच है। यह सोच क्या प्रभु के वचन पर आधारित है? हमारे ऐसा करने से क्या प्रभु के ह्रदय को खुशी मिलती है? पौलुस की तरह प्रभु के लिए मेहनत करके क्या हम सचमुच प्रभु के मार्ग पर चल रहे हैं? क्या हम स्वर्ग के राज्‍य के लायक बनेंगे? प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए? तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'" (मत्‍ती 7:21-23)। प्रभु यीशु ने यह साफ़ तौर पर कहा था। परमेश्वर की इच्छा का पालन करने वाले लोग ही स्वर्ग के राज्‍य में प्रवेश पा सकते हैं। प्रभु यीशु ने यह नहीं कहा कि प्रभु के लिए त्‍याग करनेवाले, खर्च करनेवाले और मेहनत करनेवाले स्वर्ग के राज्‍य में जा पायेंगे।

बुधवार, 7 नवंबर 2018

प्रश्न 10: तुम इसका प्रमाण प्रस्तुत करते हो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य को अभिव्यक्त करता है और अंतिम दिनों में न्याय का अपना कार्य करता है। मुझे लगता है कि प्रभु यीशु में हमारा विश्वास और पवित्र आत्मा के कार्य की स्वीकृति का मतलब है कि हमने पहले से ही परमेश्वर के न्याय का अनुभव किया है। सबूत के तौर पर यहाँ प्रभु यीशु के वचन दिए गए हैं: "क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा; परन्तु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेजूँगा। वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर या कायल करेगा" (योहन 16:7-8)। हमारा मानना है कि, हालांकि प्रभु यीशु का कार्य छुटकारे का कार्य था, जब वह स्वर्ग तक पहुंच गया तो पेन्तेकोस्त के दिन, पवित्र आत्मा उतर आया और उसने मनुष्यों पर काम किया: "पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर या कायल करेगा"। यह आखिरी दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य होना चाहिए, इसलिए मैं जिस बात का अनुसरण करना चाहता हूँ, वो यह है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा अंतिम दिनों में किए गए न्याय के कार्य और प्रभु यीशु के कार्य के बीच वास्तव में क्या भिन्नताएँ हैं?

उत्तर:
चूंकि आप सब यह मानते हैं कि प्रभु यीशु ने जो कार्य किया वह छुटकारे का था, और जो मार्ग उन्होंने दिखाया, वह था, "मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।" तो फिर आप सबने यह कैसे निर्धारित कर लिया कि पवित्र आत्मा पिंतेकुस्त में आया था, अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए? आप सबने प्रभु यीशु के इस वचन को आधार बनाया था, जिसमें कहा गया है, "क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आयेगा; परंतु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेजूंगा। और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर कर देगा" (यूहन्ना16:7-8)।

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